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जैन-विभूतियाँ अंग्रेजी, तमिल, कन्नड़ आदि विविध भाषाओं में विपुल मात्रा में प्रकाशित हुआ। भारत के संविधान द्वारा मान्य सभी भाषाओं में प्रकाशित मानवीय मूल्यों एवं संस्कारों की संवर्धना में सहायक सर्वश्रेष्ठ साहित्यिक कृति को इस संस्थान की ओर से हर वर्ष 'ज्ञनपीठ पुरस्कार' से सम्मानित किया जाता है। पुरस्कार की राशि शुरु में डेढ़ लाख रुपए थे। भारत के इतिहास में राष्ट्रीय स्तर का यह सर्वोच्च साहित्य सम्मान है। ‘साहू जैन ट्रस्ट' के अन्तर्गत एम.ए., पी-एच.डी. आदि उच्चतम शिक्षण के लिए मूर्तिदेवी छात्रवृत्तियाँ दी जाती हैं। इनके परिणामस्वरूप देश-विदेश में भारतीय दर्शन के प्रचारप्रसार को गति मिली है।
विशाल औद्योगिक प्रसार के लिए साहूजी ने प्रेस की महत्ता को पहचान कर सन् 1945 में दिल्ली से 'नवभारत टाईम्स' का प्रकाशन शुरु करवाया। सन् 1955 में बम्बई स्थित उनके कारपोरेट संस्थान 'बेनेट कालमेन कम्पनी' के अन्तर्गत 'टाईम्स ऑफ इण्डिया' का प्रकाशन शुरु हुआ। इन दोनों ही समाचार पत्रों ने पत्रकारिता के क्षेत्र में कीर्तिमान स्थापित किए हैं। इन संस्थानों से अनेक मासिक, पाक्षिक मेगजीनों का प्रकाशन हुआ। धर्मयुग दिनमान, पराग, Economic Times, Youth Times एवं फिल्मफेयर पत्रिकाएँ इसी प्रकाशन समूह की देन थी।
सन् 1968 में बनारस संस्कृत विश्वविद्यालय द्वारा संयोजित आल इण्डिया ओरियंटल कॉन्फ्रेंस में साहूजी के संप्रयत्नों से जैन विद्या पर विशिष्ट संगोष्ठी का आयोजन हुआ, जिसमें देश के मूर्धन्य विद्वानों ने सहकार किया। अनेकानेक धार्मिक व सांस्कृतिक संस्थान उनके अवदान से संस्थापित व संचालित होती रही उनमें मुख्य हैं-वैशाली स्थित प्राकृत शोध संस्थान, बनारस स्थित स्याद्वाद महाविद्यालय, ससाराम स्थित S.P. Jain College, मैसूर युनिवर्सिटी में जैन विद्या के अध्ययनार्थ स्थापित "साहू जैन चेयर'', कलकत्ता स्थित अहिंसा प्रचार समिति, सागर स्थित वर्णी संस्कृत विद्यालय, देवगढ़ स्थित साहू पुरातत्त्व म्यूजियम, नजीराबाद स्थित साहू जैन कॉलेज, मूडविद्री स्थित भारतीय कला विद्या जैन शोध संस्थान।