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जैन- विभूतियाँ
सहायतार्थ मूल्यपरक शिक्षा के पक्षधर थे। उनकी मृत्योपरान्त उनके इस स्वप्न को साकार करने के लिए उनके सुपुत्र श्री अभय फिरोदिया ने आचार्य चन्दनाजी के निर्देशन में 'नवरल वीरायतन' नामक संस्थान स्थापित कर
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(श्री नवल वीरायतन पूना)
अपने पिता की स्मृति को अक्षुण्ण कर दिया है। श्री नवलमलजी द्वारा स्थापित 'फिरोदिया टेक्नोलोजी ट्रस्ट' राष्ट्र की प्रौद्योगिक और वैज्ञानिक शोध एवं विकास की अजस्त्र धारा को प्रवाहमान रखने में सार्थक भूमिका निभा रहा है।