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जैन-विभूतियाँ आचार्य जवाहरलालजी (स्थानकवासी जैन सम्प्रदाय) की प्रेरणा से उन्होंने भीनासर में जवाहर विद्यापीठ की स्थापना की। उसके बहुमुखी उन्नयन एवं विकास के लिए निष्ठा एवं समर्पण से वे आजीवन प्रयत्नशील रहे। आचार्यश्री के प्रवचनों को 35 खण्डों में 'जवाहर किरणावली' नाम से प्रकाशित कर उन्होंने जैन धर्म की प्रभावना की। विद्यापीठ के अलावा उन्होंने जैन पौषधशाला का निर्माण कराया, मीठे पानी के दो कुएँ खुदवाए, विद्यापीठ के छात्रों के लिए अनेक सुविधाओं का निर्माण कराया।
वे सन् 1952 में अखिल भारतवर्षीय स्थानकवासी जैन कॉन्फ्रेंस के सादड़ी अधिवेशन के अध्यक्ष चुने गए। भीनासर नगरपालिका के वर्षों अध्यक्ष रहे। बीकानेर राज्य उद्योग संघ के भी अध्यक्ष चुने गए। उनके सामाजिक अवदानों का सम्मान कर बीकानेर के महाराजा गंगासिंह जी ने उन्हें विशिष्ट सेवा मेडल एवं स्वर्ण जयंती समारोह के रजत पदक से
सम्मानित किया। सन् 1944 में उन्होंने सेठ हमीरमल बांठिया कन्या उच्च प्राथमिक विद्यालय की नींव रखी। सन् 1947 में उन्होंने जवाहर-हाईस्कूल की स्थापना की। वे बीकानेर न्यायालय के अनेक वर्षों तक ऑनरेरी मजिस्ट्रेट नियुक्त हुए। वे लगातार चार वर्षों तक बीकानेर राज्य विधानसभा के सदस्य मनोनीत हुए।