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________________ जैन-विभूतियाँ 377 ___ 1934 में उनकी संसार-यात्रा शुरु हुई। इसके लिए उन्होंने ब्यावर (राजस्थान) में गुरुकुल का कार्यभार संभाला। यहाँ के छात्रालय की व्यवस्था देखी और तीन वर्ष पर्यंत शिक्षण-कार्य किया। वहाँ जैन-शिक्षण संदेश एवं साहित्य का प्रकाशन कार्य किया। 1937 से 1944 के बीच बंबई, मोरबी, राजकोट, जामनगर आदि स्थानों पर रहकर ग्रंथों का संपादन कार्य किया। अपने बड़े भाई के साथ रंगून गये वहाँ भी अपने व्याख्यानों द्वारा लोगों को प्रभावित किया। बौद्ध धर्म के 'महायान' मत के साधुओं से धर्मचर्चा की। पुन: ब्यावर-गुरुकुल में सपरिवार आए। यहाँ मानव-सेवा एवं धर्मप्रचार का कार्यारम्भ हुआ। पू. गाँधीजी की सत्प्रेरणा से सर्वोदय के कार्य में रुचि हुई और मानवसेवा के कार्य में जुट गये । जैसलमेर में प्राचीन हस्तलिखित-ज्ञानभण्डारों के दुर्लभ-ग्रंथों की प्रतिलिपि-लेखन तथा संशोधन कार्य के ज्ञानायज्ञ का आरम्भ हुआ। जैसलमेर जैसे रेतीप्रधान उद्यान में छ: मास रहकर ज्ञान-पुष्पों की सौरभ से अपना जीवन सुवासित किया। जैसलमेर के 'अमरसर' और 'लोद्रवा' तीर्थ के दर्शन किए। यहाँ महारावजी की अध्यक्षता में महावीर-जयन्ती में व्याख्यान और ज्ञानचर्चा का लाभ मिला। सन् 1945 से 1950 तक वे पार्श्वनाथ विद्यापीठ, बनारस में संचालक रहे। उनके संचालन काल में संस्था ने बहुत उन्नति की। यहाँ उन्होंने 'जैन कल्चरल रिसर्च सोसायटी' की स्थापना की एवं गरीबों के लिए 'जयहिंद को-ऑपरेटीव सोसायटी' की स्थापना की। भारतीय अखबारों एवं पत्रिकाओं की एक प्रदर्शनी आयोजित की। अनेक जैन-पत्रिकाओं का संपादन भी किया। 1951 से 53 के बीच बनारस से अपनी शिक्षण-यात्रा पूर्ण करके बंबई व्यापार करने आए। यहाँ उन्हें हताशा ही मिली। इस स्थिति में उनकी पत्नी के धैर्य एवं नैतिकबल के कारण ही विषम वातावरण और आर्थिक चिंता में भी अपने आपको संभाला। 'स्वर्ग में से नरक में क्यों आये ?' पत्नी के इस उपालंभ को सुनकर वे विभ्रांत हो गये। जैसे ईश्वर ने उनके हृदय की व्यथा को सुन लिया हो, वैसे पुन: उन्हें ब्यावर प्रेस में काम करने का आमंत्रण मिला और वे सपरिवार तुरन्त ही बम्बई छोड़कर ब्यावर आ गये।
SR No.032482
Book TitleBisvi Shatabdi ki Jain Vibhutiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMangilal Bhutodiya
PublisherPrakrit Bharati Academy
Publication Year2004
Total Pages470
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size39 MB
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