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________________ 378 जैन-विभूतियाँ यहाँ भी उनकी आशाएँ और परिश्रम व्यर्थ गया । ब्यावर से श्री शांतिलाल सेठ, दिल्ली आकर पुन: समन्वयसेवी बन गये। क्योंकि दिल्ली में उनके आशीर्वाद से ही उनके सुपुत्रों ने व्यावसायिक क्षेत्र में, देश-परदेश में बहुत प्रसिद्धि पाई। अपने पूज्य पिताजी श्री शांतिलाल सेठ को भी उन्होंने देश-विदेशों में बहत यात्राएँ करवाईं। उनके परिवार के सभी सदस्य ऐसे नि:स्वार्थी शास्त्रज्ञ माता-पिता को पाकर स्वयं को धन्य समझते हैं और तनमन-धन से उसके लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर करने में स्वयं को कृत-कृत्य मानते हैं। दिल्ली में श्री शांतिलालजी को अनुकूल परिस्थितियाँ प्राप्त होती गई, जिससे उनका उत्साह दुगुना बढ़ता गया। दिल्ली में अखिल-भारतीय जैन कॉन्फ्रेंस के मुखपत्र 'जैन-प्रकाश' साप्ताहिक हिन्दी-पत्र का उन्होंने 20 वर्ष तक संपादन कार्य सँभाला। गाँधी-स्मारक निधि, गाँधी अध्ययन केन्द्र एवं काकासाहेब की संस्थाओं के संचालन से जीवन में नया ही मोड़ आ गया। काकासाहेब की स्वतंत्र समन्वय-विचारधारा, पूज्य बापूजी और विनोबाजी की सर्वोदय धारा और मानवता के महर्षि श्री जैनेन्द्रजी की आत्मीय-अमृतधारा की पवित्र त्रिवेणी में स्नान कर वास्तव में ''मैं 'स्नातक' बन गया'' - ऐसा उन्हें अहसास हुआ। उन्हें अपने धर्मों का तुलनात्मक अध्ययन एवं सर्वधर्म समभाव को जीवन में उतारने का यहाँ 'स्वर्णावसर' मिला। पू. काकासाहेब की और समन्वय की साक्षात् मूर्ति रैहाना बहिनजी की जीवनस्पर्शी 'पारसमणि' ने जैसे उन्हें स्वर्णिम बना दिया। इंदौर में 'जैन-कॉन्फ्रेंस' के हीरक-जयन्ति समारोह में पू. शांतिलाल शेठ को 'समाज-गौरव' की उपाधि से विभूषित किया गया। 1956 से 1967 के उनके दिल्ली के स्थायी निवास में वे बहुत सी सर्वोदयी संस्थाओं, जैसे – 'गाँधी-हिन्दुस्तानी साहित्य सभा', 'मंगलप्रभात', 'विश्व समन्वय संघ' से जुड़े रहे । यहाँ उन्होंने 'हिन्दी-जापानी सभा' द्वारा जापानी बच्चों को हिन्दी संस्कृति एवं भाषा का ज्ञान दिया। हिन्दू एवं बौद्ध-धर्म की समानता जागृत करके, हिन्दी-जापानी समन्वयता स्थापित की। उनके कार्यकाल के दरम्यान उनके विचारों में भाषावाद, धर्मवाद या
SR No.032482
Book TitleBisvi Shatabdi ki Jain Vibhutiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMangilal Bhutodiya
PublisherPrakrit Bharati Academy
Publication Year2004
Total Pages470
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size39 MB
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