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________________ जैन- विभूतियाँ 96. शेठ शांतिलाल वनमाली दास (1911 - 2000) जन्म पिताश्री दिवंगत 375 : जेतपुर (सौराष्ट्र), 1911 : वनमालीदास शेठ : 2000 श्री शांतिलाल शेठ का जन्म 21 मई, 1911 को सौराष्ट्र के जेतपुर गाँव में हुआ था। प्रारम्भिक शिक्षा के बाद मुनिश्री चैतन्यजी की प्रेरणा से उन्होंने 1927 में जयपुर से "जैन - विशारद' की परीक्षा पास की। 1930 में कलकत्ता से “न्यायतीर्थ' की उपाधि प्राप्त की एवं 1934 में विद्याभवन, विद्याभारती, शांति-निकेतन से एक 'रिसर्च स्कॉलर' के रूप में 'विद्याभूषण' की उपाधि प्राप्त की । जैन आगम और प्राकृत की शिक्षा प्राप्त करने के लिए पं. बेचरदासजी दोशी एवं पंडित सुखलालजी के निर्देशन में रहे। इस अध्ययन में जैनधर्म के एक और प्रकाण्ड पंडित 'पद्मभूषण' पं. दलसुखभाई मालवणिया उनके साथ थे। यह साथ जीवन पर्यंत अटूट बना रहा। अपने जैनधर्म के ज्ञान और दृष्टि को और विस्तार देने के लिए श्री शांतिलाल शेठ 'शांति निकेतन' गये और वहाँ पर उन्होंने जैन एवं बौद्ध धर्म, संस्कृति का तुलनात्मक अध्ययन किया । बुद्ध-धर्म के ग्रंथों के अवलोकन के लिए उन्होंने 'पाली' भाषा भी सीखी। पाली भाषा का ज्ञान उन्होंने पं. श्री विदुशेखर एवं पं. श्री क्षितिमोहन सेन से प्राप्त किया। शांति निकेतन में वे 1931 से 1935 तक रहे। उन्होंने 'धम्म - सुत्तम' का संयोजन किया जिसमें भगवान महावीर की वाणी व शिक्षाएँ एक अनूठे ढंग से पेश की । इस संयोजन में भगवान महावीर की शिक्षाओं की तुलना एक तरफ बौद्ध विचारों के साथ एवं दूसरी तरफ 'सनातन धर्म' के विचारों के साथ की। यहीं श्रद्धेय श्री 'गुरुदेव' रवीन्द्रनाथ ठाकुर की विश्वभारती एवं विश्व - कुंटुंबकम् की भावना से वे प्रेरित हुए । पण्डित सुखलालजी के सम्पर्क से यह भावना और ज्यादा विकसित हुई ।
SR No.032482
Book TitleBisvi Shatabdi ki Jain Vibhutiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMangilal Bhutodiya
PublisherPrakrit Bharati Academy
Publication Year2004
Total Pages470
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size39 MB
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