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जैन - विभूतियाँ
जीवन के सभी पहलुओं को समग्रता से एवं सन्तुष्टिपूर्वक जीते हुए अल्पकाल की व्याधि के उपरान्त 21 फरवरी, 1999 को यह दैदीप्यमान नक्षत्र तिरोहित हो गया । स्तब्ध रह गये सभी परिजन, अन्तेवासी, अनुयायी एवं प्रशंसक, जिनके लिए कल्पनातीत था उस सौम्य, प्रसन्नचित आत्मीय का बिछोह, जो पोषक था, आश्रयदाता था विभिन्न प्रतिभाओं का, संस्थाओं का एवं प्रकल्पों का । वस्तुत: व्यक्ति रूप में वे एक संस्था ही थे ।
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