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जैन-विभूतियाँ उन्हीं का था। सन् 1982 में सर्वजन हितार्थ ''नेत्र चिकित्सालय'' का निर्माण करवाकर वे विराटनगर की जनता के लोकप्रिय नायक बन गए।
नेपाल के राधाधिराज महेन्द्र ने नेपाल के विकास में सहयोग देने के लिए उन्हें सन् 1963 में 'प्रवाल गोरखा दक्षिण बाहू' की उपाधि से सम्मानित कया। जैन सूत्रों के प्रकाशन के लिए गोलच्छा जी ने लाखों रुपयों का अनुदान दिया। सन् 1983 में आप स्वर्गस्थ हुए। नेपाल सरकार के शिक्षा विभाग ने उनकी जीवनी स्कूली पाठ्य-पुस्तकों में एक अंतर्राष्ट्रीय विभूति के बतौर सम्मिलित कर उन्हें सम्मानित किया। आचार्य तुलसी ने श्री रामलालजी गोलछा के धार्मिक अवदान का सम्मान कर मृत्योपरांत उन्हें 'शासन-भक्त' के विरुद से विभूषित किया। आपके सुपुत्र श्री हंसराज जी गोलछा भी सन् 1985 में नेपाल सरकार द्वारा उक्त उपाधि से सम्मानित किये गए। द्वितीय पुत्र श्री हुलासचन्द जी गोलछा जन-कल्याणकारी कार्यों में योगदान हेतु सदा तत्पर रहते हैं।