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________________ 362 जैन-विभूतियाँ 92. सेठ अम्बालाल साराभाई (1890-1967) जन्म : 1890, अहमदाबाद पिताश्री : मगनभाई करमचन्द साराभाई पद/उपाधि : कैसरे-हिन्द दिवंगति : 1967 दसा-श्रीमाल खानदान के सेठ अम्बालाल साराभाई का जन्म सन् 1890 में हुआ। आपके पिता सेठ साराभाई मगनभाई करमचन्द 30 वर्ष की अल्पायु में स्वर्ग सिधारे। उस समय अम्बालाल मात्र 5 वर्ष के बालक थे। चाचा चिमन भाई नगीनदास की देखरेख में आपकी शिक्षा अहमदाबाद में हई। 17 वर्ष की आयु में आपने पारिवारिक कारोबार देखना आरम्भ कर दिया। बीस वर्ष की वय में आपका विवाह राजकोट के श्री हरिलाल गोसालिया की पुत्री सरला देवी से हुआ। आपने विलायत में कपड़ा उद्योग का गहरा अध्ययन किया। सन् 1915 में आप गांधीजी के सम्पर्क में आए। अहमदाबाद में मिल मजदूरों की माँगों को लेकर हुए संघर्ष में आपने मजदूरों का पक्ष लिया। आपकी सूझ-बूझ एवं अध्यवसाय से कपड़ा उद्येग के क्षेत्र में आपका प्रतिष्ठान शीर्षस्थ प्रतिष्ठानों में गिना जाने लगा। केलिकों मिल्स की प्रबंधक ''कर्मचन्द्र प्रेमचन्द कम्पनी'' के आप वरिष्ठ डाईरेक्टर थे। रासायनिक दवाओं के मुख्य निर्माता बड़ोदा के साराभाई केमिकल्स, सुहृद गीगी, साराभाई मर्क सीनोबायोटिक्स आदि कम्पनियों की मालिक यही कम्पनी थी। स्टेप्टोमायसीन एवं पेनसलीन के निर्माता स्टेंडर्ड फार्मास्यूटिकल्स भी उसी समूह में शामिल हैं। जल्द ही अपने बुद्धि-कौशल से आप भारत के प्रमुख उद्योगपतियों में गिने जाने लगे। आप अहमदाबाद मिल मालिक संगठन के अध्यक्ष चुने गये। ब्रिटिश सरकार ने आपको कैसरे हिन्द स्वर्ण पदक से सम्मानित किया। महात्मा गाँधी के असहयोग आन्दोलन के समय यह पदक आपने
SR No.032482
Book TitleBisvi Shatabdi ki Jain Vibhutiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMangilal Bhutodiya
PublisherPrakrit Bharati Academy
Publication Year2004
Total Pages470
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size39 MB
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