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जैन-विभूतियाँ
361 ब्रितानिया सरकार की ओर से उन्हें 'राय बहादुर' एवं K.T.I. (Sir) के खिताब बख्शे गए। प्रथम विश्व महायुद्ध के समय उन्होंने ब्रिटिश सरकार को एक करोड़ रुपए का Warloan दिया था। जैन समाज ने समय-समय पर 'दानवीर', तीर्थभक्त शिरोमणी, जैन धर्म भूषण, जैन दिवाकर जैन सम्राट, राज्यभूषण, राव राजा, श्रीमंत सेठ आदि विरुदों से उन्हें विभूषित किया।
सन् 1959 में 85 वर्ष की वय में भारत के औद्योगिक एवं व्यावसायिक गगनमण्डल का यह प्रतापी नक्षत्र अस्त हुआ।
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