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जैन-विभूतियाँ जीर्णोद्धार करवाया। लाहौर, रायकोट, स्यालकोट, जंडियाला, सूरत, बड़ोदा, खम्भात, सादड़ी, मुम्बई, अकोला आदि शहरों के जिन मन्दिरों में बिम्ब एवं अंजन शलाका की प्रतिष्ठा करवाई।
वि.सं. 1990 में अहमदाबाद में आपने जैन श्वेताम्बर सर्व गच्छीय मुनि सम्मेलन करवाया। वि.सं. 1982 में गुजरानवाला में आत्मानन्द जैन महासभा के मंच से आपकी निश्रा में ओसवाल, खण्डेलवाल, पोरवाल आदि जैन जातियों में परस्पर बेटी-बेटों के रिश्ते करने का प्रस्ताव पास हुआ एवं पंजाब में नि:संकोच भाव से ऐसी शादियाँ होने लगीं। आपके अभिग्रह एवं प्रतिज्ञा बल से समाज को अनेक शिक्षण संस्थाएँ एवं कल्याणकारी अभियान प्राप्त हुए। उनके वासक्षेप से चमत्कार की अनेक जनश्रुतियाँ कही जाती हैं। वि.सं. 2010 में बम्बई में आपका स्वर्गवास हुआ।
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