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जैन-विभूतियाँ 86. सेठ बालचन्द हीराचन्द शाह (
-1953)
जन्म
पिताश्री
: हीराचन्द
दिवंगति
: 1953
सेठ हीराचन्द जैन समाज के प्रमुख श्रेष्ठि थे। बम्बई के सेठ मानेकचन्द पन्नालाल के साथ मिलकर उन्होंने अखिल भारतीय जैन कान्फ्रेंस की नींव डाली। ये शोलापुर में सरकार द्वारा मानद मजिस्ट्रेट नियुक्त हुए। उन्हीं सेठ हीराचन्द के सुपुत्र बालचन्द थे। बालचन्द की प्रारम्भिक शिक्षा सोलापुर में हुई। वे अध्यवसायी एवं संकल्पवान थे।
सन् 1906 में राष्ट्रीय काँग्रेस का ऐतिहासिक अधिवेशन कलकत्ता में हुआ। तरुण बालचन्द ने उस अधिवेशन में भाग लिया। दादाभाई नौदोजी ने भारत की आर्थिक दरिद्रता के लिए अंग्रेजों को तो कोसा ही, उन्होने देश के औद्योगिक एवं आर्थिक विकास के लिए भारतीयों को आगे आने की अपील की। बालचन्द भाई ने तभी से इस आर्थिक असहायता को दूर करने का संकल्प लिया। उन्होंने कांग्रेस को विविध कार्यकलापों हेतु लाखों रुपयों का अवदान दिया।
उन्होंने निर्माण के काम में बहुत उन्नति की और रेल्वे के लिए बड़ेबड़े ब्रिज बनाने के ठेकों से प्रथम विश्वयुद्ध के समय अपार सम्पत्ति अर्जित की। युद्ध समाप्त होने पर ''सिंघिया स्टीम नेवीगेशन कम्पनी'' के संस्थापन में सेठ बालचन्द का प्रमुख हाथ था। इस कम्पनी ने जहाजरानी उद्योग में नये कीर्तिमान स्थापित किये। अन्तत: सरकार ने इस संस्थान का अधिग्रहण कर लिया। सन् 1924 में आपने ''इण्डियन ह्यूम पाईप कम्पनी'' की स्थापना की जो सीमेंट क्रांक्रीट के भारी पाईप बनाती है। पूरे भारत में इस