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जैन-विभूतियाँ
339 आप नहीं रखेंगे तो मुझे पीड़ा होगी।' रजनीश जी ने पूछा- 'क्या मतलब' । सोहनलालजी बोले- 'बहुत गरीब आदमी हूँ, सिवाय रुपये के मेरे पास कुछ भी नहीं।' उस दिन प्रवचन में रजनीशजी ने कहा- "दानी तो बहुत हुए हैं, पर ऐसे कीमती शब्द कहने वाला कोई नहीं मिला।'
‘(एक जनसभा में श्री जयप्रकाश नारायण के साथ दूगड़जी)
दूगड़जी पढ़े-लिखे न थे, पर विद्वानों का बड़ा आदर करते थे। गाँधी, जयप्रकाश नारायण और विनोबा के बड़े भक्त थे। सम्प्रदाय, जाति या धर्म उनके कार्यकलाप में कभी बाधक नहीं बने। गोरक्षा आन्दोलन में तन-मनधन से अग्रणी रहे, जेल गये। सरल हृदय इतने थे कि हर किसी के दु:ख से
(जैन मुनियों की धर्मसभा को संबोधित करते दूगड़जी)