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________________ 338 जैन-विभूतियाँ 84. सेठ सोहनलाल दूगड़ (1895-1968) जन्म : फतहपुर (शेखावाटी), ___1895 पिताश्री : जोहरीमलजी दूगड़ दिवंगति : 1968 आधुनिक भारत के जिस इतिहास पुरुष ने सर्वाधिक यश कमाया, वे थे श्री सोहनलाल दूगड़। इस औढरदानी का जन्म सन् 1895 में शेखावाटी (राजस्थान) के फतेहपुर नगर में हुआ। आपके पूर्वज सूरजमल जी मारवाड़ से उठकर फतेहपुर आये। यहाँ के नवाब ने उन्हें कुशल योद्धा और दीवान की प्रतिष्ठा दी। आपके पिता श्री जौहरीमल जी नगर के प्रतिष्ठित व्यक्ति माने जाते थे। सोहनलाल जी के कोई अपनी संतान न थी। उन्होंने दो पुत्रों को गोद लिया। मुख्य व्यवसाय क्षेत्र कोलकाता रहा। व्यवसाय के नाम पर सट्टा प्रमुख था-कुछ ही क्षणों में लाखों की खोई-कमाई ! बम्बई, दिल्ली एवं कलकत्ता के रूई, चांदी एवं जूट के सट्टा बाजारों पर वे हावी रहे। परन्तु पैसा बटोरना उनके जीवन का लक्ष्य कदापि नहीं रहा, उनका रस तो उसे बाँटने में था। ___ दानी तो विश्व-इतिहास में और भी हुए हैं, जिन्होंने बिना हिचक अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया है, पर सेठ सोहनलाल अद्भुत एवं बेजोड़ थे। जहाँ जरूरत समझते, बिना बुलाए ही स्वयं थैलों में नोट भरकर पहुँच जाते। भारत का हर कोना विशेषत: शेखावाटी एवं थली प्रान्त की स्कूलों, सामाजिक संस्थाएँ, हरिजन परिवार एवं जरूरतमन्द विधवाएँ- सभी उनके दान से अनुग्रहित हुए। उन्होंने जितना दिया उसका लेखा-जोखा तक करना असम्भव है। ऐसे दिया कि दाहिनी हाथ से देते हुए बाँए हाथ को खबर तक न होने दी। ऐसे निस्पृह दानी थे दूगड़जी। जब आचार्य रजनीश ने कहा'अभी आवश्यकता नहीं है जरूरत होगी तब मंगा लेंगे' तो फौरन जवाब मिला- 'कौन भरोसा, उस समय मेरे पास हो न हो। यह तो रख ही लीजिए।
SR No.032482
Book TitleBisvi Shatabdi ki Jain Vibhutiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMangilal Bhutodiya
PublisherPrakrit Bharati Academy
Publication Year2004
Total Pages470
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size39 MB
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