________________
311
जैन-विभूतियाँ
सन् 1869 में लार्ड लारेंस के शासनकाल में आपको सरकारी जौहरी बनाया गया। सन् 1871 में भारत के तात्कालीन वाइसराय लार्ड मेयो ने "मुकीम'' की पदवी देकर न्यायिक मान्यता प्राप्त जौहरी नियुक्त किया। लार्ड नार्थब्रुक आदि अन्य वायसरायों ने भी आपके इस पद को मान्यता दी। तभी से आपके वंशज मुकीम कहलाते हैं । सन् 1877 के दिल्ली दरबार में तात्कालीन वायसराय लार्ड लिटन ने आपको "राय बहादुर'' के खिताब से सम्मानित किया एवं 'एम्प्रेस ऑफ इंडिया' मेडल प्रदान किया।
आपने सन् 1867 में कोलकाता हाल्सीबगान क्षेत्र में विश्वप्रसिद्ध दादाबाड़ी एवं एक भव्य जैन मन्दिर का निर्माण करवाया। यहाँ आपने 10वें तीर्थंकर शीतलनाथ की भव्य मूर्ति प्रतिष्ठित की। मंदिर तो तैयार हो गया था पर जैसी भव्य आकर्षक जिन प्रतिमा चाहते थे उसके लिए कई नगरों व तीर्थ स्थानों में भ्रमण करते हुए आप आगरा आये। आपके मन में एक ही चिन्ता थी जिन प्रतिमा की प्राप्ति कैसे हो । गुरुदेव की कृपा से अनायास एक दिव्य महापुरुष से साक्षात्कार हुआ और उन्होंने रोशन मोहल्ला स्थित ऐतिहासिक
APANEER
(कोलकाता स्थित दादा बाड़ी एवं जैन मन्दिर)