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जैन-विभूतियाँ रूप में लिखा। उन्होंने भारतीय इतिहास को तीन भागों में विभाजित किया। पहले खण्ड का नाम दिया "Burden of the Past". इसमें उन्होंने दिखाया कि उस समय आर्य व अनार्य संस्कृति का जो सम्मिश्रण हुआ उसमें आर्य ही अधिक अनार्टीकृत हुए। दूसरे भाग का नाम Medieval Muddle| उस समय हिन्दू व मुस्लिम संस्कृति परस्पर सम्मुखीन हुई किन्तु मिली नहीं, परस्पर विरोधी ही रही। तीसरे भाग का नाम दिया Sunset in India। इसमें उन्होंने दिखाया कि पाश्चात्य सभ्यता का विरोध हिन्दू व मुस्लिम संस्कृति ने किया। परिणाम हुआ अराजकता। हमने पश्चिमी सभ्यता की अच्छाई को तो ग्रहण नहीं किया उसके विकृत रूप को पकड़ लिया। इस ग्रन्थ के पहले दो भाग तो प्रकाशित हुए पर तीसरा अप्रकाशित रहा।
आप ने जे.एम. केइन्स की General Theory का बंगला में अनुवाद किया, जिसे कि 1982 में वेस्ट बेंगाल बुक बोर्ड ने प्रकाशित किया। उन्होंने श्रीमद्भगवद्गीता को भी बंगला पद्य में अनुदित किया है। वे कवि तो नहीं थे, फिर भी उन्होंने जो अनुवाद किया है वह सरल व सुललित है। अर्थशास्त्र एवं भारतीय अर्थतंत्र से संबंधित कुल 28 ग्रंथ उन्होंने लिखे। समस्त जैन समाज एवं अर्थशास्त्र की विद्वत् मण्डली में कस्तूरचन्दजी का नाम बड़े आदर से लिया जाता है।