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________________ 301 जैन-विभूतियाँ 71. पं. दलसुख भाई मालवणिया (1910-1994) जन्म : सायला (गुजरात), 1910 उपाधि : पद्मविभूषण दिवंगति : 1994 जैन विद्या के उन्नायक सुप्रसिद्ध दार्शनिक पद्मविभूषण पं. दलसुख भाई मालवणिया का जीवन एक सशक्त स्वाध्यायी विद्वान् के रूप में बीता। उनका जन्म गुजरात के सुरेन्द्र नगर जिले में सायला ग्राम में सन् 1910 में हुआ। बचपन से उन्हें आध्यात्म और साहित्य से प्रेम था। सन् 1931 में वे 'न्यायतीर्थ' की परीक्षा में उत्तीर्ण हुए। उन्होंने 1934 ई. में मुम्बई में 40 रुपये मासिक पर स्थानकवासी जैन कॉन्फ्रेंस के मुखपत्र 'जैनप्रकाश' के सम्पादन से अपना जीवन प्रारम्भ किया। इतनी ही राशि उन्हें प्राइवेट ट्यूशन से मिल जाती थी। सन् 1936 में आप मात्र 35 रुपये मासिक पर काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के प्राध्यापक प्रज्ञाचक्षु पं. सुखलालजी संघवी के रीडर नियुक्त हुए। धीरे-धीरे पण्डित जी के साथ आपका सम्बन्ध एक शिष्य और बाद में पिता-पुत्र जैसा हो गया। सन् 1944 में आप पं. सुखलाल जी के अवकाश ग्रहण करने के उपरान्त काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में जैन दर्शन के प्राध्यापक नियुक्त हुए। सन् 1959 में मुनि पुण्यविजय जी की प्रेरणा से अहमदाबाद में श्रेष्ठी श्री कस्तूरभाई द्वारा स्थापित लालभाई दलपतभाई भारतीय संस्कृति विद्या मन्दिर के निर्देशक बनकर अहमदाबाद आ गये। वहाँ से 1976 में सेवानिवृत्त हुए। अपने वाराणसी प्रवास के समय पण्डित जी ने प्राकृत ग्रन्थ परिषद और जैन संस्कृति संशोधन मण्डल की स्थापना की। इन दोनों संस्थाओं से अनेक महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ प्रकाशित हो चुके हैं। संशोधन मण्डल का तो अब
SR No.032482
Book TitleBisvi Shatabdi ki Jain Vibhutiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMangilal Bhutodiya
PublisherPrakrit Bharati Academy
Publication Year2004
Total Pages470
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size39 MB
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