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________________ जैन- विभूतियाँ आपके चुनाव क्षेत्र में मुस्लिम, ईसाई आदि का बाहुल्य था जो आपको श्रद्धा की दृष्टि से देखते थे। आप भारतीय इसाई समाज द्वारा संचालित कालीन्स इन्स्टीट्यूट के वर्षों प्रेसिडेंट रहे। 1946 से 47 के दौरान साम्प्रदायिक दंगों में आपने शान्ति का संदेश दिया एवं दंगा पीड़ितों के सहायतार्थ शिविर लगा कर दंगा पीड़ितों की मदद की । 285 श्री नाहर सामाजिक क्षेत्र में एक प्रसिद्ध समाज सेवी एवं क्रांतिकारी नेता रहे हैं। आप रचनात्मक कामों में बहुत रुचि रखते थे । आप गिरिन्द्र बालिका विद्यालय के 1936 में सेक्रेटरी बने । आप कलकत्ता गर्ल्स कॉलेज के संस्थापकों में थे। आप कलकत्ता यूनिवर्सिटी सिनेट के लम्बे समय तक सदस्य रहे । आप मौलाना आजाद की अध्यक्षता में बनी सिविल प्रोटेक्शन कमेटी के 1940 से 1942 तक सेक्रेटरी रहे। आप हरिजन एवं पिछड़ी जन-जातियों के परम मित्र थे । आपने मारवाड़ी समाज में व्याप्त कुरीतियों का मारवाड़ी सम्मेलन के मंच से जबरदस्त विरोध किया। आपने सर्वप्रथम सन् 1932 में अपने घर से पर्दा प्रथा को विदाई दी। 1941 में अपनी प्रथम पुत्री का विवाह जैन पद्धति से किया। आपने सन् 1932 में अपने पिता श्री पूर्णचन्दजी नाहर की अध्यक्षता में अजमेर में आयोजित अखिल भारतीय प्रथम ओसवाल महासम्मेलन में भाग लिया। सन् 1937 में श्री गुलाबचन्दजी ढढ्ढा की अध्यक्षता में कलकता में आयोजित अखिल भारतीय चतुर्थ ओसवाल महासम्मेलन में आप प्रधानमंत्री चुने गए। आप ओसवाल नवयुवक समिति द्वारा संचालित ओसवाल पत्र का संपादन भी भँवरमल सिंघी के साथ बड़े दक्षता से करते रहे। बाद में यह पत्र तरूण जैन के नाम से निकाला जाने लगा तथा आप एवं सिंघीजी उसके सम्पादक रहे। आप आशुतोष म्यूजिमय एवं Numismetic सोसाइटी आप इण्डिया, पूर्णचन्द नाहर इन्स्टीट्यूट ऑफ जैनोलाजी एवं गुलाब कुंवर लाइब्रेरी के आजीवन सदस्य एवं चेयरमैन रहे। आप तालतल्ला पब्लिक लाइब्रेरी के प्रेसिडेंट रहे । आप बंगाल बुद्धिष्ट ऐशोसियेशन के चैयरमेन रहे एवं भारत-जापान बुद्धिष्ट संघ के भी चेयरमैन रहे ।
SR No.032482
Book TitleBisvi Shatabdi ki Jain Vibhutiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMangilal Bhutodiya
PublisherPrakrit Bharati Academy
Publication Year2004
Total Pages470
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size39 MB
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