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जैन-विभूतियाँ रहे। आप बंगाल लेंजिस्लेटिव कोंसिल के 1946-47 में सदस्य रहे। आप पश्चिम बंगाल विधानसभा के 1957 से 1976 तक वरिष्ठ सदस्य रहे। आप पश्चिम बंगाल की कांग्रेस सरकार में 1962 से 1967 तक लेवर एवं इन्फोर्मेशन मिनिस्टर रहे। इस दौरान जिनेवा में हुई इन्टरनेशनल लेवर ऑरगेनाईजेशन की कॉन्फ्रेंस में आप भारतीय दल के नेता बने। आप 1971 में पश्चिम बंगाल सरकार के डिपुटी चीफ मिनिस्टर नियुक्त हुए। - आपने अपने मन्त्रित्व काल में श्रम कल्याण की कई योजनाएँ बनाई एवं व्यवसायिक कर्मचारियों के कल्याण हेतु शॉप इस्टेवलीशमेन्ट एक्ट को प्रभावशाली बनया। 1967 से 1969 के दौरान जब प्रथम युक्त फंस्ट मोर्चे की सरकार बनी उस समय काफी श्रमिक अशांति हो गई थी तब आपने अपनी निजी सूझबूझ से कई मालिक व श्रमिक समझौते करवाए।
व्यक्तिवाद एवं फासिस्टवाद के नाहर जी कट्टर विरोधी रहे हैं। 1975-1976 के दौरान जब इमरजैंसी लगाई गयी तो श्री नाहर ने उसका डटकर विरोध किया। बिहार छात्र आन्दोलन के प्रश्न पर श्री नाहर ने लोकनायक जयप्रकाश नारायण से बातचीत कर मसला हल करने का सुझाव श्रीमती इन्दिरा गाँधी को दिया। इस प्रश्न पर श्रीमती गाँधी एवं सिद्धार्थ शंकर राय से मतभेद होने के कारण आपको काँग्रेस छोड़ देनी पड़ी। आप लोकनायक जयप्रकाश नारायण एवं मोरारजी देसाई के नेतृत्व में बनी जनता पार्टी में शामिल हुए। 1977 में हुए चुनाव में आप भारतीय लोकसभा के सांसद चुने गये एवं जनता पार्टी के महामंत्री बने। चुनाव के दौरान शहीद मीनार, जकरिया स्ट्रीट एवं सत्यनारायण पार्क में हुई चुनाव सभाओं में एकत्रित हुई नर मोदिनी श्री नाहर की लोकप्रियता का प्रतीक थी।
श्री नाहरजी मानव एकता के कट्टर समर्थक थे एवं हिन्दू मुस्लिम, सिक्ख ईसाई, बौद्ध, जैन सर्व धर्मों के समन्वय में विश्वास रखते थे।