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जैन-विभूतियाँ 66. श्री विजयसिंह नाहर (1906-1997)
जन्म : अजीमगंज, 1906 पिताश्री : पूर्णचन्द्र नाहर . माताश्री : इन्द्रकुमारी पद : पश्चिम बंगाल के उपमुख्य मंत्री दिवंगति : कलकत्ता, 1997
इतिहास पुरुष श्री पूर्णचन्द्रजी नाहर के सुपुत्र श्री विजयसिंह जी नाहर ने बंगाल की राजनीति में ओसवाल समाज के वर्चस्व को पुनर्स्थापित किया। अठारहवीं एवं उन्नीसवीं शताब्दी में जब बंगाल मुगलिया सल्तनत का ही अंग था, जगत सेठ माणकचन्द एवं फतहचन्द्र गेहलड़ा के खानदान ने बंगाल का दीवान बनकर एवं अजीमगंज स्थित अपनी टकसाल के जरिये बंगाल की राजनीति, राजस्व एवं व्यापार को प्रभावित किया था। जगत सेठ खानदान का सितारा अस्त होने के बाद बीसवीं शदी में नाहर खानदान ने बंगाल के सांस्कृतिक एवं राजनैतिक परिवेश को अपनी सेवा से संपुष्ट किया।
विजयसिंह जी का जन्म अजीमगंज में सन् 1906 में हुआ। पिता श्री पूर्णचन्द्रजी एवं माता इन्द्रकुमारी ने हर्षोल्लास से संतान का पालनपोषण किया। आपकी शिक्षा कलकत्ता में ही पूर्ण हुई।
वे मात्र 11 वर्ष की वय में राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य बने। सन् 1920 में श्री मोतीलाल नेहरू के सभापतित्व में हुए कांग्रेस अधिवेशन में वे स्वयं सेवक थे। वे बंगाल के मशहूर क्रांतिकारी विपिन बिहारी गांगुली के दल से जुड़े। नेताजी सुभाषचन्द्र बोस के नेतृत्व में कई वर्षों तक काँग्रेस स्वयंसेवक दल में रहे। सन् 1928 में आप अखिल भारतीय काँग्रेस कमेटी के डेलीगेट चुने गये एवं 1977 तक आप डेलीगेट रहे। इस दीर्घ समय में देश के अनेक बड़े-बड़े नेताओं से आपका सम्पर्क