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जैन-विभूतियाँ
281 प्रचार-प्रसार हितार्थ एक लाख रुपए के ट्रस्ट की घोषणा की थी। सन् 1992 में भारत सरकार ने पुस्तक-प्रकाशन में कीर्तिमान स्थापित करने के उपलक्ष में उन्हें 'पद्मश्री'' के अलंकरण से विभूषित किया।
प्रतिष्ठान के शताब्दी वर्ष के उपलक्ष में समूचे देश में नए युवा लेखकों के हितार्थ अनेक तरह की सुविधाएँ उपलब्ध कराई गई हैं। प्रतिष्ठान द्वारा प्रकाशित ग्रंथों में अनेक ग्रंथ ऐसे हैं जिनका समूचे विश्व में अभूतपूर्व स्वागत हुआ है। पुरी के शंकराचार्य भारती कृष्ण तीर्थ द्वारा लिखित Vedic
Mathematics ऐसा ही एक अनुपम ग्रंथ है। संत तुलीदासकृत 'रामचरितमानस' के हिन्दी एवं अंग्रेजी संस्करण भी बहुत लोकप्रिय हुए हैं। अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की दो प्रवृत्तियों का संयोजन इस प्रतिष्ठान द्वारा दिसम्बर 2003 में हो रहा है- 'भारत-विद्या के लिए प्रकाशन गृहों का योगदान'' एवं 'सातवीं शदी वैयाकरण-कवि भर्तिहरि पर सेमिनार''।
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