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________________ 280 जैन-विभूतियाँ द्वार खटखटाए पर सन्तोष न हुआ। महावीर का मार्ग काल की धूल से धूमिल हो रहा था। अन्तत: सत्य संकल्प फलवान हुआ। आचार्य रजनीश की प्रवचन रश्मियों से वह पथ फिर आलोकित हुआ। लाला जी की प्रेरणा एवं आग्रह से सन् 1969 में श्री रजनीश ने कश्मीर में श्रीनगर स्थित डल झील के किनारे चश्मेशाही पर गिने-चुने लोगों के मध्य भगवान महावीर की देशना और जीवन पर 26 प्रवचन दिए। इन प्रवचनों का संकल्प 1971 में 'महावीर : मेरी दृष्टि में' नाम से प्रकाशित हुआ। ___ भारत के स्वदेशी पुस्तक-प्रकाशन-गृहों में मोतीलाल बनारसीदास सर्वाधिक पुराना कहा जा सकता है। सन् 2003 में इस संस्थान ने अपनी 100वीं वर्षगांठ (शताब्दी वर्ष) मनाई है। इस संस्थान की मिल्कियत एवं देख-रेख इस समय लाला सुन्दरलाल के भतीजे शांतिलाल जी के पाँच पुत्रों के संयुक्त हाथों में है। अग्रज श्री एन.पी. जैन ने समस्त प्रतिष्ठान एवं संयुक्त परिवार की कमान संभाल रखी है। सन् 1978 में लाला सुन्दरलाल का देहावसान हुआ। उनकी प्रथम वर्शी पर श्री शांतिलाल ने जैन आगम ग्रंथों के प्रकाशन एवं जैन-विद्या के Bos is one of thos j oint familieshindi ISIT AIRAasman मोतीलाल बनारसीदास के वर्तमान मालिक श्री जे.पी. जैन, एन.पी. जैन एवं उनका परिवार
SR No.032482
Book TitleBisvi Shatabdi ki Jain Vibhutiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMangilal Bhutodiya
PublisherPrakrit Bharati Academy
Publication Year2004
Total Pages470
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size39 MB
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