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________________ जैन-विभूतियाँ 253 मा सामरजी का साकार स्वप्न : भारतीय लोक कला मण्डल, उदयपुर नृत्य केन्द्र में नृत्य शिक्षक नियुक्त हुए। उदयशंकर की नृत्य-फिल्म 'कल्पना' में सामरजी ने 'सुन्दर' की महत्त्वपूर्ण भूमिका ही नहीं अदा की, बल्कि उसके गीत संवादों का भी सृजन किया। संवत् 2009 में सामरजी ने विद्याभवन छोड़ा और लोक-धर्मी कलाओं के शोध-संवर्धन एवं उन्नयन के लिए 'भारतीय लोककला मण्डल' की स्थापना की। बड़े धैर्य और हिम्मत के साथ इस महत् कार्य में जुटे। लेखन भी चलता रहा। लोक संगीत, लोक नृत्य, लोक नाट्य, लोकोत्सव आदि एक-एक कर अनेक ग्रन्थ प्रकाशित हुए। अनेक कलाकारों को खड़ा किया। आपके द्वार निर्देशित कठपुतली के समारोहों ने देश में धूम मचा दी। उन्होंने भारत सरकार के आग्रह पर मध्य प्रदेश, राजस्थान, मणिपुर एवं त्रिपुरा के आदिवासियों के सर्वेक्षण एवं फिल्मांकन का दुःसाध्य कार्य बड़ी लगन एवं सफलतापूर्वक कर दिखाया। संवत् 2013 में कला मण्डल का संग्रहालय बना, जो अब अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति अर्जित कर चुका है। इसमें लोकमंचीय विधाओं, वाद्यों, प्रतिमाओं, भित्तिचित्रों, कठपुतलियों का अभूतपूर्व संग्रह है। कला मण्डल द्वारा लोककलाओं की अन्वीक्षक
SR No.032482
Book TitleBisvi Shatabdi ki Jain Vibhutiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMangilal Bhutodiya
PublisherPrakrit Bharati Academy
Publication Year2004
Total Pages470
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size39 MB
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