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________________ जैन-विभूतियाँ 235 मूल्यवान नाभिकीय अनुसंधान केन्द्र का भार सौंपा, जिसे उन्होंने बड़ी योग्यता से निभाया। धुंबा का राकेट लांचिंग स्टेशन उन्हीं दिनों स्थापित हुआ। रोहिणी एवं मेनका राकेटों के विकास में उनका महत्त्वपूर्ण योगदान था। सं. 2013 में उन्हें एटामिक एनर्जी कमीशन का अध्यक्ष बना दिया गया। वे भारत सरकार के इस विभाग के सचिव मनोनीत हुए। अनेक अन्तर्राष्ट्रीय कान्फ्रेंसों, सेमिनारों तथा सभाओं की अध्यक्षता उन्होंने की। राष्ट्रसंघ की 'अन्तरिक्षीय अस्तित्व के शान्तिपरक उपयोगों की खोज' के निमित्त वि.सं. 2025 में हुई कॉन्फ्रेंस के आप अध्यक्ष निर्वाचित हुए। वि.सं. 2027 में विएना में परमाणु ऊर्जा के विकासार्थ हई 14वीं अन्तर्राष्ट्रीय कान्फ्रेंस के आप सभापति चुने गये। वि.सं. 2028 में राष्ट्रसंघ के तत्त्वावधान में परमाणु ऊर्जा के शांतिपरक उपयोगार्थ हुई चौथी कान्फ्रेंस के आप उपसभापति मनोनीत हुए। देश और विदेश में अनेक अलंकरणों से डॉ. साराभाई को सम्मानित किया गया। सं. 2019 में उन्हें 'शान्ति स्वरूप यादगार एवार्ड' से सम्मानित किया गया। सं. 2023 में भारत सरकार ने उन्हें 'पद्मभूषण' की उपाधि से विभूषित किया। वे नृत्य तथा ड्रामा के आश्रयदाता थे। उनके सुपुत्र कार्तिकेय तथा सुपुत्री मल्लिका ने भी अपने क्षेत्र में निजी पहचान बनाई। कीर्ति के शिखर पर -होते हुए भी अभिमान उन्हें छू तक न सका। प्रकृति से उन्हें अत्यन्त प्रेम था। वि.सं. 2028 में (30 दिसम्बर, 1971) धुंबा में श्रीमती मृणालिनी एवं मल्लिका साराभाई सका। प्रकति से उन्हें अत्यन्त प्रेम था। .
SR No.032482
Book TitleBisvi Shatabdi ki Jain Vibhutiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMangilal Bhutodiya
PublisherPrakrit Bharati Academy
Publication Year2004
Total Pages470
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size39 MB
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