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जैन- विभूतियाँ
श्री नाहट राजस्थानी साहित्य परिषद् एवं शार्दूल रिसर्च इन्स्टीट्यूट, बीकानेर के निर्देशक थे। वे आनन्दजी कल्याणजी पेढ़ी, नागरी प्रचारिणी सभा, जैन श्वेताम्बर कान्फ्रेंस एवं राजस्थान साहित्य एकेडेमी उदयपुर के भी मान्य सदस्य थे।
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समाज ने आपके कृतित्व का समुचित सम्मान कर आपको सिद्धांताचार्य, जैन इतिहास रत्न विद्यावारिधि, संघ रत्न, साहित्य वाचस्पति आदि उच्च स्तरीय उपाधियों से विभूषित किया। सरस्वती के इस वरद पुत्र का स्वर्गवास संवत् 2040 में हो गया ।