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जैन-विभूतियाँ संवत् 2043 में संगीत श्यामला के वार्षिक पुरस्कार द्वारा उन्हें सम्मानित किया गया।
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इन्द्र बाबू ने राजस्थान के जन-जीवन के असंख्य चित्र बनाए। उनमें रंग बहुल साज-सज्जा एवं वर्ण सुषमा का सौन्दर्य है। शिल्पगत वैशिष्ट्य के अलावा उनका सामाजिक एवं नृतात्विक मूल्य है। प्रसिद्ध अंग्रेज चित्रकार सर रसेल फ्लीटंस, फ्रेंक ब्रै गुइन एवं आगस्टस जॉन उन्हें देखकर मुग्ध हो गए। साधारणत: वे टेम्पेरा व वास पद्धति से चित्र अंकित करते थे किन्तु कहींकहीं तेल रंगों का भी व्यवहार किया है। संवत् 2032-33 में इन्द्रबाबू ने विभिन्न ऋतुओं के आगमन में गंगा के रूप परिवर्तन से अभिभूत हो अनेक चित्र बनाए। ये चित्र उनके शिल्प जीवन की महत्तम कीर्ति हैं। संवत् 2039 में उन्होंने कश्मीर ।