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________________ जैन-विभूतियाँ 191 की भी जगह न थी। अधिवेशन सम्पूर्ण होने पर गाँधीजी अजिताश्रम में पधारे, महिला समाज को उपदेश और आशीर्वाद दिया। ___ 1913 में श्री इ.एस. मान्टेग्यु, सेक्रेटरी ऑफ स्टेट, लन्दन से भारत इस उद्देश्य से पधारे कि जाँच करके पार्लियामेंट को रिपॉर्ट करें कि भारतवासियों को क्या वैधानिक सुविधा तथा स्वत्व प्रदान किये जाने उचित हैं। श्वेताम्बर, दिगम्बर, स्थानकवासी आदि सबने साम्प्रदायिक भाव गौण करके अखिल भारतीय जैन समाज का प्रतिनिधित्व करने वाली एक जैन पोलिटिकल कॉन्फ्रेंस नाम की संस्था स्थापित की। राय साहब बाबू प्यारेलाल अध्यक्ष और श्री अजित प्रसाद सेक्रेटरी निर्वाचित किये गये। 1917 का काँग्रेस अधिवेशन कलकत्ते में मिसेज एनी बेसेन्ट की अध्यक्षता में हुआ। उसी समय लोकमान्य श्री बालगंगाधर तिलक के सभापतित्व में जैन पोलिटिकल कॉन्फ्रेंस का भी अधिवेशन हुआ। वाइसराय और सेक्रेटरी ऑफ स्टेट को जैनियों की ओर से जो आवेदन भेजा गया , वह अजित प्रसाद जी ने ही लिखा था। स्याद्वाद महाविद्यालय, वाराणसी की प्रबन्धकारिणी समिति के अजित प्रसाद जी सदस्य उसकी स्थापना के समय से रहे और अपने काशीवास के समय उसकी देखरेख की। दिगम्बर जैन समाज के दानवीर सेठ मानिकचन्द हीराचन्द, जे.पी. ने जैन तीर्थ क्षेत्रों पर श्वेताम्बर जैन समाज द्वारा अनधिकृत अतिक्रमण के कारण भारतवर्षीय दिगम्बर जैन तीर्थ क्षेत्र कमेटी की स्थापना करना आवश्यक समझा। कमेटी का कार्यालय बम्बई की हीराबाग धर्मशाला में खोला गया। अजित प्रसाद जी ने 7 वर्ष तक 1923 से 1930 तक तीर्थक्षेत्र कमेटी का काम किया। उनके नाम से तीर्थक्षेत्र कमेटी की बही में 46,000/- दानखाते में जमा है। अजित प्रसाद जी ने चार मुकदमों की पैरवी की। (क) पूजा केस-7 मार्च, 1912 को बाबू महाराज बहादुरसिंह ने श्वेताम्बर जैन संघ की ओर से, सेठ हुकुमचन्द तथा 18 अन्य भारतवर्षीय दिगम्बर जैन समाज के प्रमुख सदस्यों के विरूद्ध, ऑर्डर 8 रूल 1
SR No.032482
Book TitleBisvi Shatabdi ki Jain Vibhutiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMangilal Bhutodiya
PublisherPrakrit Bharati Academy
Publication Year2004
Total Pages470
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size39 MB
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