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जैन-विभूतियाँ 47. पण्डित अजित प्रसाद (1874-1951)
जन्म : नसीराबाद (अजमेर) 1874 पिताश्री : देवी प्रसाद माताश्री : मनभावती देवी शिक्षा : एम.ए., एल.एल.बी. दिवंगति : लखनऊ, 1951
जैन तीर्थ क्षेत्रों के लिए कानूनी संघर्षों को सफल अंजाम देने वाले अणुव्रती वकील एवं सद्गृहस्थ पण्डित अजित प्रसाद का जन्म 10 अप्रेल, सन् 1874 में अजमेर-मारवाड़ स्थित नसीराबाद छावनी में हुआ था। इनके पिता बाबू देवी प्रसाद भारतीय सेना में कमसरियट गुमाश्ता थे। जब यह छ: वर्ष के थे तो इनकी माता श्रीमती मनभावती का देहावसान हो गया। अगले वर्ष इनके पिता ने पुनर्विवाह कर लिया। इनकी विमाता इनसे केवल पाँच वर्ष बड़ी थी। माँ की ममता और वात्सल्य देने के बजाय विमाता ने पिता और पुत्र के बीच में एक दरार पैदा कर दी।
अजित प्रसाद जी की प्रारम्भिक शिक्षा, रूढ़की में हुई। पिताजी के मंसूरी स्थानान्तरण होने पर, अजितप्रसाद जी अपनी दादी के पास दिल्ली चले आए और यहीं आठवें दर्जे तक पढ़े। 1887 में इनके पिताजी का तबादला लखनऊ हो गया और लखनऊ आकर इन्होंने कैनिंग कॉलेज में नवीं कक्षा में दाखिला लिया। नवीं कक्षा से लेकर एम.ए., एल.एल.बी. की उपाधि तक अजित प्रसाद जी निरन्तर कैनिंग कॉलेज में पढ़े। हाई स्कूल, एफ.ए., बी.ए. सब परीक्षाओं में प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हुए और प्रत्येक वर्ष छात्रवृत्ति पाई। कैनिंग कॉलेज के बेनेट हाल की सम्मान नामावली में 1893 के सर्वप्रथम स्नातक की श्रेणी में अजित प्रसाद जी