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________________ 164 जैन-विभूतियाँ ___43. श्री बलवंतसिंह मेहता (1900-2003) जन्म : उदयपुर, 1900 पिताश्री : जालिमसिंह मेहता माताश्री : अनेकुँवर पद : सदस्य-भारत की प्रथम संविधान निर्मात्री सभा, 1948 दिवंगति : उदयपुर, 2003 भारतीय संस्कृति के उदात्त मानवीय मूल्यों के संवाहक एवं राजनीति में शुचिता एवं पारदर्शिता के हामी मास्टर बलवंतसिंह मेहता अखिल जैन समाज के ज्वलंत दीप स्तम्भ थे। 24 फरवरी, 2000 का दिन लोकसभा के इतिहास में एक उल्लेखनीय स्वर्णिम दिवस था, जिस दिन सम्पूर्ण सदन ने मेजें थपथपा कर श्री मेहता के शतायु होने पर बधाई दी थी। यह अविस्मरणीय बधाई मात्र उस शख्सियत के सौ वर्ष पूर्ण करने तक सीमित नहीं थी किन्तु देश के स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय योगदान देते हुए भारतीय संविधान के निर्माताओं में से एक देशभक्त के जाज्वल्यमान हस्ताक्षर के प्रति भी थी। भारत के संसदीय इतिहास में यह एक अनूठी और गौरवपूर्ण बात हुई। यह प्रथम अवसर नहीं था, जबकि श्री मेहता को देश की सर्वोच्च विधायिका ने सम्मान व स्नेह प्रदान किया हो। दिनांक 9 दिसम्बर, 1996 को संविधान सभा की प्रथम बैठक की पचासवीं वर्षगांठ के अवसर पर भी संसद के संयुक्त अधिवेशन में बड़े हर्षनाद व मेजें थपथपाकर श्री मेहता के प्रति सम्मान प्रकट किया गया था। इस बार और गत बार भी वे राजस्थान के एकमात्र वरिष्ठ सदस्य थे। इसी गौरवपूर्ण श्रृंखला की कड़ी में 4 अप्रेल, 2000 को राजस्थान विधानसभा ने भी श्री मेहता को शतायु होने पर बधाई दी।
SR No.032482
Book TitleBisvi Shatabdi ki Jain Vibhutiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMangilal Bhutodiya
PublisherPrakrit Bharati Academy
Publication Year2004
Total Pages470
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size39 MB
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