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________________ 163 जैन-विभूतियाँ ___42. श्री पूनमचन्द रांका (1899- ) जन्म : तोंडापुर ग्राम (अजमेर), 1899 पिताश्री : छोगमल रांका (दत्तक : शम्भूराम रांका) दिवंगति : नागपुर के प्रसिद्ध कांग्रेसी नेता ओसवाल श्रेष्ठि श्री पूनमचन्दजी रांका महात्मा गांधी के अत्यंत प्रिय कार्यकर्ताओं में से एक थे। स्वतंत्रता प्राप्ति के पूर्व के 30 वर्ष भारत के इतिहास में स्वर्णाक्षरों से अंकित हैं। वह बलिदान और सेवा का युग था एवं रांकाजी उसके मूर्तिमान प्रतीक । आप अजमेर तालुका. के तोंडापुर ग्राम निवासी श्री छोगमलजी रांका के पुत्र थे। आपका जन्म संवत् 1956 में हुआ। संवत् 1962 में आप नागपुर के रांका शंभूरामजी के दत्तक आए। आपका जीवन त्याग और तपस्या से ओतप्रोत था। हाथ की कती-बुनी काली कमली कंधे पर डाले संवत् 1977 से गांधीजी के सभी आन्दोलनों में वे अग्रणी रहे। इस हेतु छ: सात बार उन्हें जेल यातनाएं भी सहनी पड़ी। प्रांतीय कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष तो वे थे ही, संवत् 1996 में अखिल भारतवर्षीय कांग्रेस कमेटी के भी सदस्य चुने गए। उन्होंने अपनी वैयक्तिक सम्पत्ति का बहुत बड़ा भाग देशहित के लिए अर्पित कर दिया था। सामाजिक सुधारों के वे सूत्रधार थे। ओसवाल महेश्वरी एवं पोरवाल समाज में मोसर की कुप्रथा के उन्मूलन हेतु उन्होंने अथक प्रयास किया। वे अपनी धार्मिक सहिष्णुता के लिए सर्वत्र लोकप्रिय थे। अखिल भारतवर्षीय सनातन जैन महासभा के सातवें अधिवेशन के वे सभापति चुने गए। आपकी धर्मपत्नि धनवती बाई रांका राष्ट्रीय आन्दोलन की महिला नेत्री थी। वे भी अनेक बार जेल गई। खादी एवं चरखा को अपने जीवन का अंग बनाकर उन्होंने तात्कालीन समाज को नई दिशा दी।
SR No.032482
Book TitleBisvi Shatabdi ki Jain Vibhutiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMangilal Bhutodiya
PublisherPrakrit Bharati Academy
Publication Year2004
Total Pages470
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size39 MB
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