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जैन-विभूतियाँ आर्ट्स कॉलेज में अर्धमागधी भाषा के लेक्चरर नियुक्त हुए। सन् 1940 में बम्बई यूनिवर्सिटी के तत्त्वावधान में गुजराती भाषा के विकास पर हुई भाषण-श्रृंखला से आपने विद्वत् मंडली में बहुत नाम कमाया। आप पचास से भी अधिक महत्त्वपूर्ण ग्रंथों का सर्जन-सम्पादन कर चुके हैं। सन् 1964 में राष्ट्रपति डॉ. राधाकृष्णन ने संस्कृत भाषा की सेवा के लिए आपको सम्मानित किया। आप सन् 1982 में स्वर्ग सिधारे।
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