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जैन-विभूतियाँ ने सभी विधिवेत्ताओं की प्रशंसा अर्जित की। इससे पहले किसी भारतीय ने इस विषय पर कलम नहीं चलाई थी। देश के तमाम न्यायालयों में आज भी यह ग्रंथ आदर की दृष्टि से देखा जाता है एवं संदर्भ ग्रंथ की भांति इस्तेमाल किया जाता है। यह अब भी इस विषय की सर्वमान्य उच्चतम पुस्तक मानी जाती है।
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