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________________ 114 जैन-विभूतियाँ थे। सिरेमलजी को उदार वृत्ति विरासत में मिली। बचपन में नौकरचाकरों की माँग पर वे रुपए मुट्ठियाँ भर-भर कर उछाल दिया करते थे। आपका जन्म सं. 1939 में हुआ। पंडित गौरीशंकर हीराचन्द ओझा आपके गुरु थे। आपकी प्राथमिक शिक्षा अजमेर में हुई। आपका विवाह बाल-अवस्था में ही मेहता भोपालसिंह जी कटारिया की पुत्री आनन्द कुंवर से सं. 1953 में ही कर दिया गया। आपकी उच्च शिक्षा इलाहाबाद के म्योर सेण्ट्रल कॉलेज में सम्पन्न हुई। संवत् 1961 में आपने एल.एल.बी. प्रथम श्रेणी में प्रथम स्थान पर पास कर इलाहाबाद में वकालत शुरु की। संवत् 1964 में आप होल्कर राज्य के डिस्ट्रिक्ट जज नियुक्त किये गये। सं. 1967 में जब होल्कर दरबार विलायत गये तो बाफना साहब को अपने साथ ले गये। सं. 1972 में आप राज्य के होम मिनिस्टर नियुक्त हुए। छ: वर्ष तक बड़ी योग्यता से आपने राज्य का शासन भार संभाला। तदुपरान्त कुछ अरसे तक आप पटियाला राज्य के मंत्री नियुक्त हुए। संवत् 1980 में होल्कर दरबार ने पुन: आपको इन्दौर बुला लिया और राज्य का डिप्टी प्राइम-मिनिस्टर नियुक्त किया। संवत् 1983 में आप प्राइम मिनिस्टर बने। इस तरह अनेक वर्षों तक राज्य का शासन भार आपके ही कन्धों पर रहा। संवत् 1971 में दिल्ली दरबार के समायोजन पर ब्रिटिश सरकार ने आपको 'राय बहादुर' की पदवी से सम्मानित किया। लन्दन में हुई गोलमेज कान्फ्रेंस में आपने इन्दौर के महाराजा का प्रतिनिधित्व किया। बोलने के बीच टोक दिए जाने पर बाफनाजी बैठ तो गए पर बाद में ब्रिटिश प्रधानमंत्री सर मेकडोनाल्ड ने लिखित रूप में उनसे क्षमा-याचना की। संवत् 1987 में महाराजा ने आपको 'वजीर-उद्दौला' की पदवी से विभूषित किया। अगली साल ब्रिटिश सरकार ने आपको सी.आई.ई. का सम्मान इनायत किया। संवत् 1992 में 'लीग ऑफ नेशन्स' संस्थान के जेनेवा अधिवेशन में आप भारतीय प्रतिनिधि की हैसियत से शरीक हुए।
SR No.032482
Book TitleBisvi Shatabdi ki Jain Vibhutiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMangilal Bhutodiya
PublisherPrakrit Bharati Academy
Publication Year2004
Total Pages470
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size39 MB
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