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________________ जैन - विभूतियाँ 28. सर सिरेमल बाफना (1882-1964) जन्म : इन्दौर, 1882 पिताश्री छोगमलजी बाफना पद : : मंत्री (पटियाला स्टेट) प्रधानमंत्री (होल्कर, बीकानेर, रतलाम, अलवर) उपाधि : राय बहादुर (1914), वजीरु द्यौला (1930), C.I.E. (1931), Sir (1936) दिवंगति : 1964, इन्दौर 113 जिन ओसवालों ने भारत के इतिहास को गौरवान्वित किया उनमें अपनी दूरदर्शिता पूर्ण राजनैतिक प्रतिभा के कारण सिरेमलजी बाफना का नाम अग्रणी है। वे अनेक वर्षों तक इन्दौर (होल्कर ) राज्य के प्राईम मिनिस्टर रहे। नाबालिग राजा की शासकी बड़ी नाजुक होती है । षड़यंत्रों से भरपूर स्थितियों में शासन चलाना और राजा का विश्वास जमाये रखना कोई हंसी खेल नहीं होता। सिरेमलजी ने ऐसी शासन एवं जनसेवा का कीर्तिमान स्थापित किया । देशी राज्यों के खजानों के व्यवस्थापक सेठ जोरावरमलजी बाफना की मृत्योपरान्त उनके पुत्र चन्दनमलजी उदयपुर रहकर राज्य की सेवा करते रहे। सं. 1924 में उनकी मृत्यु हुई। उनके कनिष्ठ पुत्र छोगमल जी हुए, जिनके द्वितीय पुत्र सिरेमल जी थे। आपके दादा चन्दनमलजी के विवाह में उस समय दस लाख रुपए खर्च हुए थे। इनके परिवार ने जैन तीर्थ के लिए संघ समायोजन किया तब तेरह लाख रुपए खर्च हुए श्री छोगमलजी बाफना
SR No.032482
Book TitleBisvi Shatabdi ki Jain Vibhutiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMangilal Bhutodiya
PublisherPrakrit Bharati Academy
Publication Year2004
Total Pages470
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size39 MB
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