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जैन-विभूतियाँ
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(लीग ऑफ नेशन्स, जेनेवा के 1935 अधिवेशन का विहंगम चित्र) संवत् 1993 में ब्रिटिश सरकार ने आपको सर्वोच्च सम्मान 'नाईट' (सर) की उपाधि से सम्मानित किया।
सरकारों में ही नहीं, समस्त प्रजा में आप लोकप्रिय थे। प्रजा का कल्याण आपके लिए सर्वोपरि था। आपकी सूझ-बूझ एवं साहस की अनेक कहानियाँ प्रचलित हैं। एक बार खड़ेला गाँव का नत्थूसिंह आपसी झगड़ों में पुलिस के बार-बार सताए जाने से तंग आकर सबसे बड़े हाकिम बाफनाजी की हत्या करने उनके घर पहुँच गया। आपके बख्शी बाग स्थित रहवास पर मिलने वालों के लिए कोई बंदिश नहीं थी। नत्थूसिंह ने मारने के लिए पिस्तौल तान दी। बाफना जी धैर्य से बोले"यह काम तो तुम कभी भी कर सकते हो। पहले मुझसे कोई काम हो तो करवा लो, सम्भव हुआ तो कर दूंगा'' नत्थूसिंह झुक गया, पिस्तौल फेंक दी। बाफना जी ने वहीं मामले की फाईल मंगवाकर स्वयं फैसला लिख दिया। आपके सद्प्रयत्नों से इन्दौर का छावनी क्षेत्र, जो ब्रिटिश सरकार के कब्जे में था, पुन: राज्य में शामिल कर दिया गया एवं भारत के वाइसराय के पास इन्दौर राज्य का प्रतिनिधि हर समय रहने लगा। इससे राज्य के विकास में बहुत सहायता मिली। यह अधिकार किसी