SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 124
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 102 जैन-विभूतियाँ 26. आचार्यश्री देवेन्द्र मुनि (1931-1999) जन्म : उदयपुर, 1931 पिताश्री : जीवनसिंह बरड़िया माताश्री : तीजा देवी (महासती प्रभावती जी) दीक्षा : बाड़मेर, 1940 आचार्य पद : उदयपुर, 1993 दिवंगति : घाटकोपर, 1999 श्रमण संघ के तृतीय पट्टधर आचार्यश्री देवेन्द्र मुनि इस शदी के विशिष्ट श्रुत साधक एवं मनीषी थे। एक हजार से अधिक साधु-साध्वी और लगभग 20 लाख श्रद्धालु भक्त उनके अनुयायी थे। आपने जैन धर्म और दर्शन के संदर्भ में विपुल साहित्य सर्जन किया। आप हजारों मील की पद यात्राएँ, धर्म चर्चाएँ एवं आत्म-कल्याणकारी विविध प्रवृत्तियों का 60 वर्ष तक निरन्तर संचालन कर धर्म प्रभावना करते रहे। देवेन्द्र मुनि का जन्म भक्ति, वीरता, त्याग बलिदान और पराक्रम की धरती मेवाड़ की राजधानी, झीलों की नगरी उदयपुर में वि.सं. 1988, कार्तिक कृष्णा त्रयोदशी (धरतेरस), दिनांक 8 नवम्बर, सन् 1931 के दिन हआ। ऐसे भाग्यशाली बालक को जन्म देने वाले भाग्यशाली मातापिता थे-महिमामयी माता तीज कुमारी तथा सद्गृहस्थ श्री जीवनसिंह जी बरड़िया। धनतेरस को जन्म लेने के कारण तथा जन्म से ही परिवार में धन-धान्य की वृद्धि होने से बालक का नाम धन्नालाल रखा गया। बालक धन्नालाल की बड़ी बहन थी सुन्दरी कुमारी। बालक धन्नालाल दिखने में एक देवकुमार जैसा लगता था। गौरवर्ण, अत्यन्त सुकुमार शरीर, सुन्दर आकर्षक नाक नक्श, मधुर हास्य और निश्छल प्रेम से भरा कोमल चेहरा, बड़ी-बड़ी झील-सी आँखें और सुदृढ़ पुष्ट देह देखने वाले का मन मोह लेते थे।
SR No.032482
Book TitleBisvi Shatabdi ki Jain Vibhutiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMangilal Bhutodiya
PublisherPrakrit Bharati Academy
Publication Year2004
Total Pages470
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size39 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy