SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 117
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 95 जैन-विभूतियाँ 24. प्रज्ञा पुरुष रजनीश (1931-1990) जन्म : कुचवाड़ा (मध्यप्रदेश), 1931 पिताश्री : बाबूलाल जैन माताश्री : सरस्वती बाई सम्बोधि : भंवरताल उद्यान, 21 मार्च, 1953 दिवंगति : 1990, पूना 2500 वर्षों के कालचक्र में घूम कर अस्तित्व की भगवत्ता का ध्रुवीकरण हो, फिर एक तीर्थंकर का अवतरण इस पृथ्वी पर हो-इसे ही इतिहास की पुनरावृत्ति कहते हैं। आज से करीब 2500 वर्ष पूर्व महावीर और बुद्ध के अवतरण से भारत भूमि धन्य हुई थी। अब काल जयी मसीहा की कोटि के एक और महापुरुष का भारत में अवतरण हुआ। 11 दिसम्बर 1931 को मध्यप्रदेश के कुचवाड़ा ग्राम में माता श्रीमती सरस्वती बाई की कुक्षि से एक बालक का जन्म हुआ। पिता का नाम था-श्री बाबूलालजी जैन। बालक का नामकरण हुआ-राजेन्द्र कुमार। परिवार जैन धर्म के कबीर तारण स्वामी प्रणीत दिगम्बर तेरापंथी सम्प्रदाय के अनुयायी थे। मध्यभारत में इनका बाहुल्य था। किशोर वय में बालक राजेन्द्र डॉ. शरणदास शर्मा की पुत्री शशि का हम जौली था। शशि की सन् 1948 में अकाल मृत्यु हो गई। इससे बालक के कोमल हृदय को गहरा आघात लगा। उसने अपना नाम ही बदल कर 'रजनीश' (शशि का पर्याय) रख लिया। ___ बचपन ननिहाल में गुजरा। तभी नाना की मृत्यु के प्रत्यक्षदर्शी होकर बालक ने मृत्यु की पीड़ा को फिर भोगा, तभी से वे शांतिप्रिय हो गये। वे गड़रवाड़ा में अपने माता-पिता के पास रहने लगे। घर के समीप
SR No.032482
Book TitleBisvi Shatabdi ki Jain Vibhutiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMangilal Bhutodiya
PublisherPrakrit Bharati Academy
Publication Year2004
Total Pages470
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size39 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy