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जैन-विभूतियाँ आत्म साधना में लीन संत दिव्य सिद्धियों के धारक होते हैंआचार्य सुशील कुमार इसके प्रमाण थे। ध्यानस्थ हो अपने छाया शरीर का अवलोकन उन्होंने अपने अनेक श्रद्धालु भक्तों को कृपा कर करवाया। डॉ. बुधवमल शामसुखा एवं डॉ. विमल प्रकाश जैन ने यह स्वयं अनुभूत किया। अन्तर्राष्ट्रीय जगत में उनकी ख्याति फैल रही थी। शांति और अहिंसा के संदेश वाहक के रूप में अनेक बार उन्होंने विदेश यात्राएँ की। अमरीका में संस्थापित उनका ध्यान एवं शोध संस्थान जैन-विद्या का प्रमुख केन्द्र माना जाता है।
जैन जगत का यह प्रगतिशील चरित्रनायक 22 अप्रैल, 1994 की संध्या दिल्ली में दिवंगत हुआ। सूर्य अपनी ज्योति बिखेर कर छिप गया। एक उज्ज्वल नक्षत्र टूटकर अनन्त में विलीन हो गया। भगवान महावीर की पीयूष वाणी देश-विदेश में गूंजायमान करने वाला मसीहा सदा-सदा के लिए चला गया।
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