________________
87
जैन-विभूतियाँ 24. आचार्य सुशील कुमार (सन् 1926-1994)
जन्म : शिकोहपुर (हरियाणा),
___ 15 जून, 1926 पिताश्री : पं. सुनहरा सिंह (ब्राह्मण) माताश्री : भारती देवी दीक्षा : जुगरांव (पंजाब), 20
अप्रेल, 1942 आचार्य पद : दिल्ली, 1980
दिवंगति : 22 अप्रेल, 1994 श्रमण भगवान महावीर द्वारा प्रवर्तित अक्षुण्ण श्रमण परम्परा में मुनिश्री सुशील कुमार जी 20वीं शताब्दी के प्रकाश स्तम्भ थे। वे एक विनम्र, नि:स्पृह, संयमशील मनस्वी संत थे। सम्प्रदाय, जाति, देश, भाषा, समाज एवं वर्ग की बेड़ियाँ तोड़ इस सत्योन्मुखी संत ने धर्म को नया आयाम दिया। अंध परम्पराओं, रूढ़ आस्थाओं और आधार हीन मूल्यों के जीर्ण-शीर्ण खण्डहर को ध्वस्त कर नए आध्यात्मिक सृजन के द्वार खोले। यह अकिंचन व्रतधारी अणगार विश्वशांति एवं मानवता के कल्याणार्थ जीवन पर्यन्त समर्पित रहा।
हरियाणा प्रांत के गुड़गाँव जनपद का शिकोहपुर ग्राम प्राकृतिक शुषमा वेष्ठित पहाड़ियों, हरे-भेत खेत एवं झीलों के लिए ही नहीं, मातृभूमि की रक्षार्थ प्राण न्यौछावर करने वाले रण बांकुरों के लिए भी जाना जाता है। पण्डित सुनहरा सिंह जन्मना ब्राह्मण होकर भी कर्मणा योद्धा थे। विश्व के कई युद्धों में उन्होंने एक सैनिक के रूप में भाग लिया। उनकी भार्या श्रीमती भारती देवी भारतीय नारी के आदर्श चरित्र का समुज्ज्वल उदाहरण थी। वे साहस और शौर्य की साक्षात् प्रतिमा थी। उसी माँ भारती की कुक्षि से 15 जून, 1926 को एक सुकान्त बालक ने जन्म लिया। नामकरण हुआ सरदार सिंह।