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________________ 588 बहुरत्ना वसुंधरा : भाग - 3 __'बहुरत्ना वसुंधरा' भाग 3-4 मिले / कुछ ही पन्ने पढकर मन प्रसन्नता से और आपश्री के प्रति अहोभाव से भर गया / वर्तमान समय के श्री जिनशासन के अलंकार रुप पुण्यात्माओं के जीवन-चरित्रों को पढकर अनेकानेक भव्य जीव अपनी सुषुप्त भावनाओं को जाग्रत कर सकेंगे !... ऐसे आराधक रत्नों का जीवन व्याख्यानादि में भी वर्णन करके हमारे जैसे जीवों को अनुमोदना करने का लाभ मिलेगा / आप श्री ऐसे पुण्यात्माओं के जीवन का संपादन करके जैन समाज के पथप्रदर्शक बन गये हो / आपश्री को बहुत धन्यवाद - अभिनंदन / वर्तमानकालीन आराधकरत्नों के दृष्टांत नयी पीढी को धर्म श्रद्धा में दृढता प्रदान करेंगे / इस किताब में जिन जिन साधु-साध्वीजी भगवंतों के दृष्टांत प्रकाशित हुए हैं, उनके नाम और समुदाय लिखने के लिए विज्ञप्ति है / समस्त चतुर्विध श्री संघ का अहोभाग्य है कि ऐसी अमूल्य किताब पढकर सभी अपने जीवन को कृतार्थ बनायेंगे / बहुत बहुत अनुमोदना / - - उपाध्याय विनोदचंद्रजी आपश्री जो गजब की मेहनत करके आश्चर्यजनक धर्मात्माओं के दृष्टांत-चरित्रों का संपादन कर रहे हो उससे लोगों की जैन धर्म के प्रति आस्था एवं आचार- क्रिया आदि में जो दृढता आयेगी उसका श्रेय आपके सत्प्रयास को मिलेगा / आपश्री की इस प्रभावना और भावना को बहुत बहुत वंदना-अनुमोदना / सभी भागों की 2-2 प्रतियाँ हमारे लिए और यहाँ के ज्ञानभंडार के लिए भिजवाने की विज्ञप्ति / आराधक रत्नों का बहुमान हो रहा है वह भी बहुत ही प्रेरक पूरक ओर सूचक है। - भावचन्द्रजी स्वामी की ओरसे विवेकमुनि HTHHTHE प्रस्तुत पुस्तक के द्वारा अनेकानेक जीवों को सत्प्रेरणा मिलेगी। इसका पठन-पाठन करके लोग श्री जिनशासन के प्रति श्रद्धावान बनेंगे। धर्मजिज्ञासु जीवों के लिए यह किताब अत्यंत उपयोगी है। __- रतिलाल महाराज, गिरीश मुनि, त्रिलोकमुनि
SR No.032468
Book TitleBahuratna Vasundhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year1999
Total Pages478
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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