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________________ 583 बहुरत्ना वसुंधरा : भाग - 3 __ आपश्रीने अत्यंत परिश्रम द्वारा ऐसी अद्भुत और श्रेष्ठ किताब का सर्जन किया है, उसकी बहुत बहुत अनुमोदना / कई जीवों का आराधना एवं अनुमोदना द्वारा आत्महित इससे होगा / नये नये प्रसंग आपके द्वारा हर सालमें प्रकाशित होते रहें ऐसी हार्दिक शुभेच्छा / - मुनि भदेश्वरविजय आपश्रीने भगीरथ पुरुषार्थ के द्वारा भावपूर्ण उत्तम सर्जन करके पुस्तक के रूप में सुकृतों का अनमोल खजाना सकल श्री संघ को भेंट किया है, जो आत्मार्थी जीवों को अवश्य ही लाभकारक बनेगा। - मुनि यशोभूषणविजय 'बहुरत्ना वसुंधरा' में बहुत बढिया मसाला भरा है / आज के समय में बहुत ही उपयोगी है। .. - मुनि कलहंसविजय __'बहुरत्ना वसुंधरा' के विशिष्ट आराधकों के बहुमान कार्यक्रम की पत्रिका मिली / बहुत सुंदर आयोजन किया है / आराधक रत्न दूर दूरसे आयेंगे / जैनेतर आराधकों को भी जैनशासन की विशेष पहचान मिलेगी और वे महातीर्थ की स्पर्शना से लाभान्वित बनेंगे / उक्त प्रसंग की भूरि भूरि हार्दिक अनुमोदना / आपश्री को कार्यकर्ताओं का समूह अच्छा मिल गया है, जिससे यह कार्य सफल होगा इसमें संदेह नहीं / शासनदेव आपश्री को हर प्रकार से सहायक बनें यही शुभेच्छा / - मुनि जयचन्द्रविजय आपश्री ने तपस्वी सम्राट, प.पू.आ.भ श्री विजय हिमांशुसूरीश्वरजी म.सा. के उपर प्रेषित 'बहुरत्ना वसुंधरा' किताब देखी / मुझे बहुत अच्छी लगी / इतने दृष्टांतों को इकट्ठा करने के लिए कितनी मेहनत करनी पड़ती होगी ! आप श्री ने यह कार्य करके बहुत सफलता प्राप्त की है। _ - मुनि दिव्यपद्मविजय
SR No.032468
Book TitleBahuratna Vasundhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year1999
Total Pages478
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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