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________________ 582 बहुरत्ना वसुंधरा : भाग - 3 विविध लोगों के पास से सुनकर अत्यंत आनंद हुआ है / _ - मुनि महाभद्र सागर, मुनि पूर्णभद्र सागर 'बहुरत्ना वसुंधरा' किताब मिली / बहुत अच्छा परिश्रम किया है। दो भाग पढ लिये हैं / भाग 3-4 का वांचन चालु है / व्याख्यानादि में बहुत ही उपयोगी है / भाग -1 की प्रस्तावना में आप के द्वारा लिखी हुई सूचना के अनुसार भाग 1-2 के सभी दृष्टांतपात्र आराधकों को मुनि श्रीउदयरत्नसागरजी अनुमोदना पत्र लिख रहे हैं, जिससे आराधकों के उत्साह में अभिवृद्धि होगी / _ - मुनि सर्वोदयसागर खदान में से हीरे निकालने सुलभ हैं, किन्तु दुनिया में रहे हुए अनेकानेक प्रकार के जीवों में से आराधक महापुरुषों की खोज बहुत मुश्किल होती है / ऐसी चातक दृष्टि प्राप्त करने के बदल बहुत बहुत अनुमोदना / प्रस्तुत किताब भवसागर में भटकते हुए जीवों के लिए दीवादांडी के समान है। - मुनि संयमबोधिविजय सचमुच आपने बहुत ही परिश्रम उठाकर इस पुस्तक के द्वारा जैनशासन की अपूर्व सेवा की है / आज के विषम कालमें अधिकांश लोग धर्म से विमुख हो रहे हैं, तब ऐसे उत्तम आत्माओं के प्रसंगों को पढकर वे धर्म में स्थिर होने के लिए प्रयत्न किये बिना नहीं रह सकेंगे। इसके सारे श्रेय और यश के भागी आप हैं / जिनको भी सच्ची धर्म आराधना करनी है वे इस किताब को पढकर प्रतिकूल संयोगों में भी उत्तम आराधना कर सकेंगे इसमें कोई संदेह नहीं है / भा.सु-१५ के दिन आयोजित अनुमोदना समारोह के समाचार अवश्य भिजवायें / - मुनि युगदर्शनविजय
SR No.032468
Book TitleBahuratna Vasundhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year1999
Total Pages478
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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