________________ बहुरत्ना वसुंधरा : भाग - 3 581 सहजता से बन सकोगे यह निर्विवाद है / अति सुंदर संकलन सरल और सचोट शैलि में किया है / भविष्य में भी आपके द्वारा ऐसे और उससे भी सुंदरतर अनेक कार्य होते रहें ऐसी शासनदेव को प्रार्थना / - मुनि कल्याणबोधिविजय 'बहुरत्ना वसुंधरा' मिली / मुझे पढने का समय नहीं मिला है, किन्तु हमारे साधु महाराज आदि जिन्होंने भी पढी वे सभी उसकी बहुत प्रसंसा करते थे / __ - मुनि जम्बूविजय अत्यंत सुंदर पुस्तक है / बहुमान समारोह सफलता पूर्वक हो गया होगा ! नूतन दिशा के इस कदम के लिए आपश्री को शत शत साधुवाद / गुणीजनों का बहुमान करेंगे तो ही गुणीजनों की संख्या बढेगी। यह किताब सचमुच किताब ही नहीं है, किन्तु रत्नों की मंजूषा है / वर्तमान काल में दृष्टांत ही असरकारक बनते हैं। - गणि मुक्तिचन्द्रविजय आपके अथक परिश्रम से 'बहुरत्ना वसुंधरा' किताब हमें आज प्राप्त हुई / यह पुस्तक अनुमोदना का रसथाल है / एतदर्थ आप साधुवाद के पात्र हैं। - मुनि जिनरत्नसागर 'बहुरत्ना वसुंधरा' साहित्यरत्नों में एक अनमोल रत्न है / प्रायः अर्वाचीन लोकभोग्य सोहित्य में इसका स्थान अद्वितीय होगा / हम व्याख्यान में अक्सर इस किताब में से प्रेरणात्मक प्रसंग सुनाकर लोगों में उत्साह बढाते हैं / कुछ कुछ प्रसंग आँखों में से प्रमोदाश्रु बहा देते हैं। 'आप की भावना, परिश्रम और उसके द्वारा हो रही शासन प्रभावना को धन्य है' ऐसे उद्गार सहज रूप से मुंह से निकल जाते हैं / आराधकों के विशिष्ट बहुमान के अत्यंत अनुमोदनीय समाचार भी