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________________ बहुरत्ना वसुंधरा : भाग - 3 579 कार्यक्रम आयोजित हुआ है वह बहुत अच्छा किया है / पूज्यपाद आ. श्री लब्धिसूरीश्वरजी म.सा. कहा करते थे कि अनुमोदना करनेवाले तो धन्य हैं ही, किन्तु अनुमोदना करनेवालों की अनुमोदना करनेवाले भी धन्य हैं। - उपाध्याय महायशविजय 'बहुरत्ना वसुंधरा' भाग -2 साद्यन्त पढ गया / वास्तव में आपने बहुत भव्य पुस्वार्थ किया है / यह कार्य गुणानुराग गुण विकसित हुए बिना हो नहीं सकता है / सचमुच आपने गुणानुराग गुण को अच्छी तरह से विकसित किया है, उसका ही यह फल है। - पंन्यास कीर्तिचन्द्रविजय 'बहुरत्ना वसुंधरा' भाग 3-4 की एक प्रति प्राप्त हुई है / जैन शासन में वर्तमानकालीन चमकते आराधकों के उदाहरण श्री संघ में प्रेरणादायक बनेंगे इसमें कोई संदेह नहीं है। _ - पंन्यास इन्द्रविजय आपका प्रयन्तं बहुत अनुमोदनीय, प्रेरणादायक एवं शासन प्रभावक है / हार्दिक अनुमोदना / प्रवर्तक मुनि हरीशभद्रविजय 'बहुरत्ना वसुंधरा' मिली है / बहुत ही आनंद हुआ / सचमुच अनुमोदनीय प्रसंग अनुमोदनीय ही हैं और प्रेरणादायक भी हैं / सुंदर संकलन करने के लिए हार्दिक धन्यवाद / - गणि अभयशेखरविजय
SR No.032468
Book TitleBahuratna Vasundhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year1999
Total Pages478
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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