________________ बहुरत्ना वसुंधरा : भाग - 3 577 'बहुरत्ना वसुंधरा' भाग- 2 मिला है / प्रयत्न अत्यंत अनुमोदनीय है / विशेष अभिप्राय संपूर्ण पढने के बाद भेजूंगा / आ. विजयभद्रंकरसूरि आपका प्रयत्न प्रशस्य है / कोने कोने में छिपे हुए रत्नों को खोजकर विश्व के सामने प्रकाशित किया है, उसकी भूरि भूरि अनुमोदना सह हार्दिक धन्यवाद / आ. विजय हेमरत्नसूरि 'बहुरत्ना वसुंधरा' भाग 3-4 मिला है / सहर्ष स्वीकार करता हूँ। किताब में सग्रहित दृष्टांत अत्यंत सुंदर और बार-बार अनुमोदना करने योग्य हैं। आ. विजय पूर्णानंदसूरि 'बहुरत्ना वसुंधरा' मिली है / किताब में रहे हुए दृष्टांत अनेक जीवों के आंतर संवेदन में जरूर अनन्य कारण बनने योग्य हैं / यह एक जिनशासन की अनूठी देन है / जिनशासन का कैसा अद्भुत प्रभाव है . कि जिसके प्रत्यक्ष बोलते हुए दृष्टांत संपूर्ण आम जनता को सीधा असर करते हैं !... ऐसे अनेक सुकृतों को करने के लिए शासनदेव आपको शक्ति प्रदान करे यही शुभेच्छा। ___- आ. विजय विद्यानंदसूरि 'बहुरत्ना वसुंधरा' भाग -2 मिला है। अनेक जीवों को प्रेरक बननेवाले उत्तम दृष्टांतो का समावेश इस किताब में करने का आपका यह प्रयास अत्यंत अनुमोदनीय है। .- आ. विजय हेमप्रभसूरि बहुरत्ना वसुंधरा - 3-37