SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 652
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 575 बहुरत्ना वसुंधरा : भाग - 3 है आपको, आपने कितना परिश्रम करके सब प्रकार के लेख छपवायें हैं / आपको बहुत बहुत धन्यवाद / आ. जिन महोदयसागरसूरि 'बहुरत्ना वसुंधरा' भाग-२ मिला है / ग्रन्थ की संकलना बहुत ही सुंदर है / ग्रन्थ के दृष्टांत अनुमोदना के लिए भरपूर सामग्री प्रदान करते हैं / इस तरह का बिल्कुल बेनमून सर्जन करने के लिए लाख लाख धन्यवाद / विशिष्ट आराधकों के बहुमान का कार्यक्रम अच्छी तरह सफल हो यही शुभेच्छा / - आ. विजय मुनिचन्दसूरि 'बहरत्ना वसुंधरा' भाग-२ मिला है / आपने अत्यंत प्रशंसनीय प्रयास किया है / भिन्न भिन्न स्थानों में रहे हुए मानवरत्नों को खोजकर आपने अनेक जीवों के समक्ष अनुमोदना के लिए प्रस्तुत किये हैं, इसके लिए खूब खूब धन्यवाद / ___ - आ. विजयदेवसूरि., आ. हेमचन्द्रसूरि - 'बहुरत्ना वसुंधरा' पुस्तक प्रकाशित करके आपने जैन शासन की महान सेवा की है। भारत के विभिन्न राज्यों में गुप्त रूप से रहे हुए जैन रत्नों को आपश्रीने प्रयास करके संघ के समक्ष प्रकाशित किये हैं, इसके लिए आप शतशः धन्यवादार्ह हैं / - आ. सुबोधसागरसूरि 'बहुरत्ना वसुंधरा' किताब मिली है / उपर उपर से निरीक्षण करने पर भी लगा कि बहुत अच्छी मेहनत की है, जो अनेकों के लिए प्रेरणाप्रद बनेगी / ऐसे सुन्दर उपहार के लिए अभिनन्दन / आ. कलाप्रभसागरसूरि
SR No.032468
Book TitleBahuratna Vasundhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year1999
Total Pages478
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy