________________ 574 बहुरत्ना वसुंधरा : भाग - 3 गुणवान आत्माओं के चरणों मे झुक जाने की वृत्ति उत्पन्न करता हुआ ऐसा मस्त उपहार श्री संघ के समक्ष प्रस्तुत करने के लिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद है। - आ. विजय रत्नसुंदरसूरि 'बहुरत्ना वसुंधरा' भाग-२ मिला है / भाग-१ गत वर्ष में मिला था / सादर स्वीकार किया है / मेहनत खूब प्रशंसनीय है / अनुमोदना का भव्य पाथेय परोसा है / भाग 3-4 भी भेजें / - आ. विजय मित्रानंदसूरि ___'बहुरत्ना वसुंधरा' भाग-२ मिला है / सचमुच कलियुग के कीचड़ में उत्पन्न हुए नरपुंगव रूप कमलों को विश्व के समक्ष प्रस्तुत करके आपने बहुत ही कमाल किया है !.. आज का मानव भौतिकवाद की भयानकता एवं विषयों की आसक्ति को छोड़कर साधना की पगदंडी पर शीघ्र अग्रसर बन जाय ऐसे दृष्टांतों का अखूट खजाना है। आपका आंतरस्नेह अविस्मरणीय रहेगा / ___- आ. कल्याणसागरसूरि ॐ 'बहुरत्ना वसुंधरा' का भाग -2 मिला / पुस्तक बहुत ही उपयोगी है / आप इस तरह ज्ञानभक्ति द्वारा शासन की सेवा कर रहे हैं, यह अनुमोदनीय है / पालिताना में 'लुणावा मंगल भुवन' धर्मशाला में भी ज्ञानभंडार है / लोग लाभ लेते हैं / तो ऐसी किताबें भिजवाते रहें / ___ आ. विजय अरिहंतसिद्धसूरि 'बहुरत्ना वसुंधरा' का प्रथम भाग गत वर्ष जयपुर में मिला था। बाकी के तीन भाग यहाँ बाड़मेर में मिले हैं / हमारी साध्वीजीयों को पढने के लिए किताबें दी हैं / धर्मश्रद्धा को बढानेवाला साहित्य है / धन्य