________________ बहुरत्ना वसुंधरा : भाग - 3 573 'बहुरत्ना वसुंधरा' भाग-२ मिला है / आप अत्यंत रसपूर्वक अच्छा प्रकाशन करते है / आपका सौहार्द एवं स्नेहभाव कभी भूल नहीं सकता हूँ।... चातुर्मास प्रवेश के दिन नवकार महामंत्र के साधक श्री लालुभा दरबार मिले थे / आराधकों के अनुमोदना - बहुमान समारोह में उनको भी आमंत्रण भिजवाया गया है, यह जानकर बड़ी प्रसन्नता हुई। ___- आ. महायशसागरसूरि 'बहुरत्ना वसुंधरा' मिली है। वर्तमानकाल में सत्त्वगुणसंपन्न जीवों में कितनी सुंदर धर्मश्रद्धा, तप-त्याग की शक्ति एवं शील-सदाचार की मर्यादाएँ विद्यमान हैं !!... नीति, परोपकार, उदारता, समता आदि गुणसंपन्न जीवों के वर्तमानकालीन दृष्टांत अत्यंत बोधप्रद हैं / .... प्रत्येक घरों में हररोज पारिवारिक धर्मसभा का आयोजन होना चाहिए एवं उसमें ऐसी किताब के प्रतिदिन 2-4 दृष्टांत पढाए जाएँ तो अत्यंत सुंदर धर्मजागृति आयेगी !... किताब के माध्यम से आबालवृद्ध सभी को धर्मश्रद्धा एवं सदाचार पालन के प्रति प्रेरित करने का आपका पुरुषार्थ अत्यंत अनुमोदनीय है। _ - आ. विजय राजेन्दसूरि 'बहुरत्ना वसुंधरा' मिली है। सादर स्वीकार किया है। सुंदर परिश्रम . किया है / श्रम सार्थक हुआ है !... जिस तरह सूर्य आज भी सारे विश्व को प्रकाशित करता है, उसी तरह श्री जिनशासन भी आज पूर बहार में झगमगा रहा है, ऐसी प्रतीति इस किताब को पढने से होती है / कई आत्माएँ अनुमोदना द्वारा आत्मकल्याण के पथ पर प्रगति करेंगी !.. हम तो प्रवचन में खास इस किताब के दृष्टांत अक्सर दिया करते हैं, जिन्हें सुनकर श्रोताओं को अच्छे भाव जगते हैं। - आ. विजय वारिषेणसूरि अनेक आत्माओं को सन्मार्ग में आने की प्रेरणा देता हुआ एवं