________________ बहुरत्ना वसुंधरा : भाग - 3 571 'बहुरत्ना वसुंधरा' मिली है / सुंदर शैलि से परिश्रम करके किताब तैयार की गयी है। प्रत्येक मनुष्यों के लिए एवं खास करके साधु-साध्वीजी भगवंतों के लिए व्यारव्यानादि में यह किताब अत्यंत उपयोगी बनेगी। प्राचीन दृष्टांतों की अपेक्षा से अर्वाचीन दृष्टांतों में लोगों को अधिक दिलचश्पी होती है / आपके द्वारा किया हुआ यह स्वाध्याय सर्व जीवों को बहुत ही उपयोगी होगा / अलग अलग 3 किताबें प्रकाशित होने से साधुसाध्वीजीयों को विहारमें साथमें रखने के लिए अनुकूलता रहेगी। चार भागों के अधिक दो सेट यहाँ भेजने के लिए अवसर देखें। - आ. विजय चंद्रोदयसूरि गत वर्ष में 'बहुरत्ना वसुंधरा' का प्रथम भाग मिला था / कल दूसरा भाग मिला है। प्रथम भाग मिला तब मैं विहार में था, इसलिए यहाँ आकर पढा तब अत्यंत रोमाञ्चित हो उठा / इतने में दूसरा भाग मिला और उसके कुछ ही दृष्टांत पढकर अत्यंत हषान्वित हो गया हूँ / वर्तमान काल में भी श्रीजिनशासन जयवंत है। आपने इन पुस्तकों के लिए जो मेहनत की है उसकी अनुमोदना करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं।... 'गुणीजन भक्ति ट्रस्ट' की स्थापना करने के लिए हसमुखभाई को हमने प्रेरणा की थी, और यह ट्रस्ट आपके द्वारा आयोजित अनुमोदना समारोह में सहभागी बना इसका भी हमको आनंद है। यह प्रकाशन कलकत्ता में एवं यहाँ (पटणा शहर) के ज्ञानभंडार में भी बहुत उपयोगी होगा / आपकी किताब हमेशा के लिए मेरे साथ रहेगी। ___ - आ. विजयप्रभाकरसूरि 'बहुरत्ना वसुंधरा' किताब नहीं किन्तु सजिल्द ग्रन्थ प्राप्त हुआ है !... सचमुच वसुंधरा के अनमोल रत्नों की अद्भुत रोशनी हमारे जीवनपथ पर मार्गदर्शक बन सके ऐसी है / आपने बहुत अनमोल संकलन किया है। यह प्रकाशन केवल श्रावकों के लिए ही नहीं, किन्तु चतुर्विध श्री संध के लिए प्रेरणादायक है / प्रायः वर्तमान विश्व में सबसे उत्कृष्ट गुणानुरागी के रूपमें मुझे आपके दर्शन होते हैं / ऐसे संतके गुणगान करते हुए यह जिह्वा थकती