________________ 570 बहुरत्ना वसुंधरा : भाग - 3 भाई के पुत्र, कुटुंबी भाइयों-भाभियों तथा ननिहाल पक्ष सहित 45 भव्यात्माएँ संयम की सुन्दर साधना कर रही हैं / वे सं. 2036 के ज्येष्ठ सुदि 3 के दिन नवकार मंत्र गिनते गिनते समाधिपूर्वक कालधर्म को प्राप्त हुए / उनके नाम के पूर्वार्ध का अर्थ 'आनंद' होता है। उत्तरार्ध का अर्थ 'बेल' होता है / उनकी विशिष्ट जिनभक्ति की भूरिशः अनुमोदना / उनकी पुत्री साध्वीजी आज विशाल परिवार के साथ संयम की आराधना कर रही हैं / उनके नाम के पूर्वार्ध का अर्थ 'सुवर्ण' तथा उत्तरार्ध का अर्थ 'बेल' होता है। उनकी विशिष्ट जिनभक्ति की भूरिशः अनुमोदना / "बहुरला वसुंधरा" ( भाग 1 से 4 गुजराती आवृत्ति) के 296 विषयमें विविध गच्छ-समुदायोंके गच्छाधिपति आचार्य आदि महात्माओंके स्वयं संप्राप्त अनुमोदनापत्रोंका संक्षिम सारांश 8888888888888 _ "बहुरत्ना वसुंधरा'' भाग 1 से 4 एवं अनुमोदना समारोह की पत्रिका मिली / पढकर अत्यंत प्रसन्नता हुई / आपने वसुंधरा के उपर विद्यमान रत्नों की विस्तृत जानकारी प्राप्त करके हमारे तक पहुँचायी इसके लिए बहुत बहुत अनुमोदना करके धन्यवाद देते हैं / रत्न सामने होते हुए भी रत्न के रूपमें उनकी पहचान दुर्लभ हैं, मगर प्रस्तुत पुस्तक के द्वारा अगणित रत्नों की सुंदर पहचान हमें हुई। दश वर्ष के बालक को श्री सिद्धचक्र महापूजन कंठस्थ !... सुदीर्ध तपश्चर्याएँ करनेवाले महानुभाव !... वर्धमान आयंबिल तप की 100 ओलियाँ पूर्ण करनेवाले तपस्वियों की नामावलि !... इत्यादि पढकर आराधक आत्माओं को अंतर के आशीर्वाद सह हृदय से वंदन हो जाता है !... आपकी लेखन प्रवृत्ति हमको बहुत पसंद आयी है / ऐसे विशिष्ट प्रयास की आवश्यकता थी जो आपने पूर्ण की है, एतदर्थ आप पुनः पुनः धन्यवाद के पात्र हैं। .... आपने ऐसे विशिष्ट आराधक रत्नों के बहुमान का आयोजन करवाया है एवं उसमें भी समाज के सन्माननीय अग्रणी पधारनेवालें हैं, यह जानकर आनंद हुआ है। __- आ. विजय यशोदेवसूरि